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1--आखिर कब-तक कोरोना-साले के नाम पर लाँकडाऊन लगाओगे* *2--आखिर कब तक कोरोना-साले के नाम पर लोगो के हक-अधिकार को छीनोगे*

 *1--आखिर कब-तक कोरोना-साले के नाम पर लाँकडाऊन लगाओगे* *2--आखिर कब तक कोरोना-साले के नाम पर लोगो के हक-अधिकार को छीनोगे* *3--आखिर कब-तक कोरोना-साले कि आड़ मे OBC जनगणना रोकोगे* *4--आखिर कब-तक बहाना बनाकर 3743 OBC जाति वालो लोगो के ''राजनैतिक-आरक्षण" को खाओगे* *5--आखिर कब-तक 29-4-1946 कि तरह OBC सरदार पटेल कि भाँति आज के OBC को बेवकूफ बनाओगे* *6--आखिर कब-तक कोरोना-साले कि वजह से "कलाकार जाति पेशेवर जाति" वाले लोगो को धर्म-आस्था-मजहब के नाम पर आपस मे लड़ाओगे* *7--आखिर कब-तक "कला और पेशा" मे बँटी वंचित हजारों कलाकार जाति पेशेवर जाति वाले लोगो को "राजनैतिक-आरक्षण" से वंचित रखोगे*  *8--आखिर कब-तक हिन्दू नाम पर SC ST OBC शूद्र भाईयो को शूद्र नाम से दूर रखोगे* *9--आखिर कब-तक SC ST OBC भाई को सछूत-अछूत शूद्र-अतिशूद्र कहकर पुकारते रहोगे* *10--आखिर कब-तक शूद्र भाईयों को हिन्दू नाम कि जंजीरों मे बाँधकर रखोगे* *11--आखिर कब-तक SC ST OBC को "हिन्दू-हिन्दू" बोलकर वफादार MUSLM भाईयो से लड़ाओगे* *12--आखिर कोरोना हरामी को कंधा बनाकर कब-तक OBC शूद्र भाई क

मौत का नाला: जहां चली हत्याओं की होड़

  मौत का नाला: जहां चली हत्याओं की होड़ एक भीड़, दो नाले और पांच हत्याएं. By आयुष तिवारी और बसंत कुमार 21 Mar, 2020 55 वर्षीय चन्द्रावती देवी को अब भी नाले में बहकर जाते शव का दृश्य याद कर चक्कर आने लगते हैं. चन्द्रावती उत्तर-पूर्वी दिल्ली के गोकुलपुरी के संजय कॉलोनी की रहने वाली हैं. इनके घर के बिलकुल पीछे से नाला बहता हुआ जाता है. वो बताती है, “एक मार्च को दोपहर के तीन बज रहे थे. हमारे आसपास शोरगुल हुआ. हमने देखा कि नाले से एक शव बहता हुआ गोकुलपुरी मेट्रो की तरफ जा रहा था. उसका पीठ ऊपर था. उसका बेल्ट और जूता चमक रहा था. बेचारा किसी का बेटा होगा. मैं यहां 40 साल से रह रही हूं, लेकिन नाले में इस तरह से लाश को पहले कभी नहीं देखा था.’’ 55 वर्षीय, चन्द्रावती, 4 दशक से गोकुलपुरी में रह रही है. चन्द्रावती के बगल में खड़ी काजल कहती हैं, ‘‘जिस दिन से नाले से शव को बहते जाते देखा उस दिन से खाया तक नहीं जा रहा है.’’ यह लाश उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जौहरीपुर से गोकुलपुरी तक बहकर आई थी. मेट्रो स्टेशन के पास इसे बाहर निकाला गया. काफी देर तक लोग भीड़ लगाकर लाश को देखते रहे. सभी के अंदर ये डर बैठ गया कि