सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

नवंबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गरीबी से छुटकारा कैसे पाएं !

         लेेेखक- एस ए बेताब  गरीबी से छुटकारा कैसे पाएं ! https://youtu.be/LJ7UHhG-FWo भारत में गरीबी से मुक्ति कैसे संभव है ? सबसे पहले तो आप जिस स्थान पर रहते हैं वहां के लोगों की जीवन शैली, उनकी आदतें ,उनके विचार ,उनकी इच्छाएं, उन्हें अच्छी तरह पहचानिए । फिर आप तय कीजिए कि आप इन सब लोगों से अलग है। आपके विचार यूनिक होने चाहिए। आप अपने अंदर बदलाव लाना चाहते हैं । अपने आप को बदलिए । अपने आप को स्वस्थ और मजबूत इंसान बनाइए । 1 :- पहले यह तय करें कि आप गरीब नहीं हैं । 2 :- गरीबी को दूर भगाना है । 3 :- अपना लक्ष्य बनाएं । 4 :- सही दिशा में पूरी मेहनत से काम करें। 5:- धन की कमी का रोना ना रोए। 6 :-धन प्राप्ति की चेतना विकसित करें । 7 :- अपने जीवन की प्रतिदिन की दिनचर्या बनाएं अपने समय को नष्ट ना करें। आप किस क्षेत्र से आते हैं वहां की भौगोलिक स्थिति क्या है यह भी ध्यान में रखना जरूरी है । आप इन सब चीजों का पालन करें। आप की गरीबी दूर हो जाएगी और आपकी क्वालिफिकेशन क्या है ? और आपका मानसिक ज्ञान क्या है ? आप क्या करना चाहते हैं ? एक बिजनेसमैन बनना चाहते हैं या सर्विसमैन बनना चाहते हैं यह

डर के साए में जिंदगी!

डर के साए में जिंदगी!  डर तो डर है,जो डर गया समझो मर गया ! फिल्म शोले का यह मशहूर डायलॉग काफी कुछ कहता है।जिंदगी की बुनियाद डर और खौफ के साए में हो तो उस पर बनने वाली इमारत एक डरावनी हवेली की तरह बन जाती है। सत्य अहिंसा और समानता जीवन से कब दूर चली जाती है इसका पता ही नहीं चलता है। पहले होता है कुछ- कुछ और फिर हो जाता है सब कुछ। जुल्म,अन्याय और अत्याचार के खिलाफ उठने वाली आवाजें कमजोर पड़ जाती हैं।जिन  युवाओ ने सोचा था कि पढ़ लिखकर रूढ़िवादिता और भटकाववाद को समाप्त करेंगे, वह कब भटकाव की भट्टी में अपने आप को झोंक देते है इसका पता ही नहीं चलता और जब इसका पता जब  चलता है तो तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। पहले जुल्म, अन्याय और अत्याचार के मामले में इसलिए समझौता कर लेते हैं कि वह उनके परिवार के सदस्य है। फिर इसलिए समझौता कर लेते हैं कि वह उनकी जाति के है । फिर इसलिए झुक जाते हैं कि वह उनके संप्रदाय के है। और हद तो तब हो जाती है जब वह अन्याय और अत्याचार की अपनी अलग परिभाषा गढ़ लेते हैं । यह सब इतनी आसानी से हो जाता है कि वह जब समझते हैं तो सामने इतने शक्तिशाली लोग नजर आते हैं कि उनसे

"जिसकी लाठी उसकी भैंस"

"जिसकी लाठी उसकी भैंस"  यह तो पहले से होताआया है  बहुत इंतजार के बाद बाबरी मस्जिद का फैसला आ गया। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना ही दिया। सुप्रीम कोर्ट, सुप्रीम है अब फैसला जो भी आए आप उससे संतुष्ट हो या असंतुष्ट हो इसके बाद भारत में कोई दूसरी अदालत नहीं । सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानना होगा ।जब फैसला नहीं आया था तो कुछ लोग जो यह कहते थे कि वह सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं मानेंगे । फैसला आने से पूर्व  कुछ लोग एक माहौल तैयार करने में लग गए । यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला जो भी आए हम सबको सद्भाव बनाए रखना है । प्यार मोहब्बत से रहना है ,किसी तरह का कोई विरोध प्रदर्शन नहीं करना है ।जगह-जगह शांति मीटिंग  होने लगी और जो शांति के लिए प्रशासन के कहने पर काम करते हैं वह सब लोग उसमें लग गए। उत्तर प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई। दंगा फसाद रोकने के लिए पुलिस प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए उत्तर प्रदेश ही नहीं देश के अन्य राज्यों को भी हाई अलर्ट पर रखा गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद बिल्कुल शांति है ,बराबर शांति बनी हुई है, जैसी धारा 370 को कश्मीर में हटाए जाने के बा