दिल्ली दंगे के मामले में अदालतें पुलिस की कार्यप्रणाली से खासी नाराज शुरू से ही दिख रही थीं। कई बार पुलिस को झाड़ पिलाई गई, लेकिन गुरुवार को एक कोर्ट ने वो टिप्पणी की जो पुलिस को ताउम्र याद रहेगी। कोर्ट ने तीन आरोपियों को बरी कर कहा कि दिल्ली दंगे में पुलिस की विवेचना का तरीका इतिहास में एक काले अध्ययाय की तर्ज पर दर्ज होगा। कोर्ट ने बीते साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े एक मामले की जांच को लेकर पुलिस को कड़ी फटकार लगाई। कड़कड़डूमा के एडिशनल सेशन जज विनोद यादव कहा कि जब इतिहास विभाजन के बाद से राष्ट्रीय राजधानी में सबसे भीषण सांप्रदायिक दंगों को देखेगा, तो पुलिस की विफलता हमेशा पीड़ा देगी। उनका कहना था कि पुलिस ने जिस तरह से सतही विवेचना की वो शर्मसार करने वाली है। कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के भाई शाह आलम और दो अन्य आरोपियों काशिद सैफी व शादाब को एक दुकान में लूटपाट और तोड़फोड़ से जुड़े मामले में बरी कर दिया। अदालत ने जांच को निष्क्रिय करार देकर कहा कि घटना का कोई ऐसा सीसीटीवी फुटेज नहीं था, जिससे आरोपी की घटनास्थल पर मौजूदगी की पुष्टि हो सके।
मैंने क्या पाया है दुनिया से कभी सोचा नहीं ।सोचता ये हूं कि मैं दुनिया को क्या दे जाऊंगा।। एस ए बेताब संपादक "बेताब समाचार एक्सप्रेस" हिंदी मासिक पत्रिका एवं यू टयूब चैनल