हाल के वर्षों में यदि किसी एक महानगर की पुलिस के पेशेवराना काम काज पर सवाल उठा है तो वह है दिल्ली पुलिस। हम लोग जब नौकरी में आये थे तो यह सुनते थे कि मुंबई पुलिस देश की सबसे पेशेवराना ढंग से काम करने वाली पुलिस है। पर बाद में दिल्ली पुलिस को राजधानी की पुलिस और सीधे भारत सरकार के गृह मंत्रालय के आधीन होने के कारण और भी बेहतर बनाया गया। उसे जनशक्ति सहित अन्य आधुनिक संसाधन दिए गए। पर हाल ही में हुए दिल्ली दंगों में, दिल्ली पुलिस की भूमिका की बहुत अधिक आलोचना हुयी है। चाहे, दिल्ली दंगे में, कानून व्यवस्था और दंगा नियंत्रण करने का मामला हो, या दंगे से जुड़े अपराधों की विवेचना का, दोनों ही दायित्वों में, दिल्ली पुलिस की भूमिका सन्देह के घेरे में रही। फरवरी 2020 के दिल्ली दंगे के दौरान, चाहे कानून व्यवस्था बनाये रखने का मामला हो, या दंगों से जुड़े मुकदमों की जांचों का, दिल्ली पुलिस, स्पष्ट रूप से एक राजनीतिक पक्ष की ओर झुकी दिखी और दंगा नियंत्रण के लिये, समान रूप से सभी दंगाइयों पर, बिना उनके धार्मिक आस्था से प्रभावित हुए, दिल्ली पुलिस द्वारा जो भी कार्यवाही की जानी चाहिए थी, उसे करने में