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उत्तर प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति पर प्रतिवर्ष बढ़ रहा है कर्ज का बोझ

  लखनऊ.  उत्तर प्रदेश के हर नागरिक पर 22,442 रुपए का कर्ज है। पिछले एक साल में यह 1340 रुपए बढ़ा है। मंगलवार को वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना द्वारा पेश किए गए बजट में राज्य सरकार पर कर्ज का बोझ 516 लाख करोड़ रुपए से अधिक होने का अनुमान है, जो राज्य के कुल बजट 512 लाख करोड़ रुपए से अधिक है।👪

उमर खालिद के मुकदमे में नंगी हो गई दिल्ली पुलिस

  हाल के वर्षों में यदि किसी एक महानगर की पुलिस के पेशेवराना काम काज पर सवाल उठा है तो वह है दिल्ली पुलिस। हम लोग जब नौकरी में आये थे तो यह सुनते थे कि मुंबई पुलिस देश की सबसे पेशेवराना ढंग से काम करने वाली पुलिस है। पर बाद में दिल्ली पुलिस को राजधानी की पुलिस और सीधे भारत सरकार के गृह मंत्रालय के आधीन होने के कारण और भी बेहतर बनाया गया। उसे जनशक्ति सहित अन्य आधुनिक संसाधन दिए गए। पर हाल ही में हुए दिल्ली दंगों में, दिल्ली पुलिस की भूमिका की बहुत अधिक आलोचना हुयी है। चाहे, दिल्ली दंगे में, कानून व्यवस्था और दंगा नियंत्रण करने का मामला हो, या दंगे से जुड़े अपराधों की विवेचना का, दोनों ही दायित्वों में, दिल्ली पुलिस की भूमिका सन्देह के घेरे में रही।  फरवरी 2020 के दिल्ली दंगे के दौरान, चाहे कानून व्यवस्था बनाये रखने का मामला हो, या दंगों से जुड़े मुकदमों की जांचों का, दिल्ली पुलिस, स्पष्ट रूप से एक राजनीतिक पक्ष की ओर झुकी दिखी और दंगा नियंत्रण के लिये, समान रूप से सभी दंगाइयों पर, बिना उनके धार्मिक आस्था से प्रभावित हुए, दिल्ली पुलिस द्वारा जो भी कार्यवाही की जानी चाहिए थी, उसे करने में

बीजेपी आईटी सेल के ट्वीट से उमर खालिद पर दिल्ली पुलिस ने लगा दिया यूएपीए

   क्या  भारत सरकार के गृह मंत्रालय, दिल्ली पुलिस, भाजपा आईटी सेल और उसके मुखिया अमित मालवीय तथा अर्णब गोस्वामी के चैनल रिपब्लिक और मुकेश अम्बानी ग्रुप के चैनल न्यूज़ 18 के बीच दुरभिसंधि है, कि एक्टिविस्टों को किस तरह यूएपीए के जाल में फंसाना है। पहले भाजपा आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ट्वीट करते हैं, फिर उस ट्वीट के आधार पर गोदी मीडिया खबर चला देती है, दिल्ली पुलिस आनन फानन में यूएपीए के तहत केस दर्ज़ कर लेती है। आरोपी जेल भेज दिया जाता है और यूएपीए में जमानत नहीं होती। मामला जब सक्षम न्यायालय में पहुंचता है तो पता चलता है कि पुलिस के पास सबूत के तौर पर केवल गोदी चैनलों के फुटेज हैं और जब चैनलों से फुटेज माँगा जाता है तो वे अपनी गर्दन बचाने के लिए सच एक दूसरे को ताकने लगते हैं और कहते हैं कि उन्होंने इसे भाजपा आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ट्वीट के आधार पर चलाया था।  यह खुलासा उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान विशेष अदालत में हुआ। इस खुलासे से पत्रकारिता की आचार संहिता की धज्जियाँ उड़ गयीं और देश के लौहपुरुष कहलाने की इच्छा रखने वाले महाबली गृहमंत्री अमित शाह को शर्म भी

दिल्ली पुलिस की मुसलमानों के खिलाफ पक्षपातपूर्ण भूमिका में दंगों के दौरान खामोश तमाशाई बने रहने या हिंदू दंगाई समूहों का साथ दने का आरोप भी शामिल है।

फरवरी 2020 में हुए दिल्ली फसाद के संदर्भ में ‘संविधान वॉच’ द्वारा जारी रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस द्वारा पुष्ट जान-माल के नुकसान के आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि इसमें सबसे ज्यादा नुकसान मुसलमानों का हुआ। यहां तक कि उनके धार्मिक स्थलों पर भी हमले किए गए। इसमें खासतौर से सीलमपुर, चांदबाग़ और गोकुलपुरी के पास की बड़ी मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्र शामिल थे। यहां विवादास्पद नागरिकता कानून वापस लेने की मांग करते हुए शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन चल रहे थे। भाजपा नेताओं की तरफ से इन प्रदर्शनों को बदनाम करने के लिए कई तरह के आरोप लगाए जा रहे थे। खासकर दिल्ली चुनाव के दौरान उसके वरिष्ठ नेताओं ने उनको ‘देश विरोधी’ या ‘देश के खिलाफ’ साजिश तक कहा था, जिसका अक्स दिल्ली पुलिस की जांच में भी साफ देखा जा सकता है। दिल्ली पुलिस की मुसलमानों के खिलाफ पक्षपातपूर्ण भूमिका में दंगों के दौरान खामोश तमाशाई बने रहने या हिंदू दंगाई समूहों का साथ दने का आरोप भी शामिल है। दंगों की जांच में उसने न केवल दंगा पीड़ित मुसलमानों बल्कि सीएए आंदोलनकारियों और उनका समर्थन करने वाले संगठनों के सदस्यों को गिरफ्तार और प्रताड़ित क

दिल्ली दंगों की जांच के लिए न्यायिक आयोग क्यों नहीं?

  23 फरवरी को दिल्ली में हो रहे सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान कुछ आंदोलनकारियों ने उत्तर पूर्वी दिल्ली के इलाके की एक सड़क पर धरना देना शुरू कर दिया और उससे यातायात बाधित हो गया। इस पर सरकार समर्थित सीएए के पक्ष में कुछ लोग भाजपा नेता कपिल मिश्र के साथ वहां पहुंचे और इसका विरोध किया। कपिल मिश्र ने वहीं दिल्ली के डीसीपी की उपस्थिति में धमकी देते हुए कहा कि आज तो हम वापस जा रहे हैं, पर केवल ट्रंप के वापस लौटने तक इंतज़ार करेंगे। उसके बाद हम खुद ही निपटेंगे। उल्लेखनीय है कि अमरीकी राष्ट्रपति उस दिन दिल्ली में ही थे और राष्ट्रपति भवन में उनका स्वागत भोज चल रहा था। 26 फरवरी को अचानक हिंसा बढ़ गई और दंगे भड़क उठे। दंगे अधिकतर मुस्लिम इलाक़ों में हुए और फिर धीरे-धीरे उत्तर पूर्वी दिल्ली के इलाके में फैल गए। अब तक 53 लोगों के मारे जाने और 200 लोगों के घायल होने की खबर है। दो पुलिसकर्मी मारे गए हैं और कुछ घायल भी हुए हैं।  आखिरकार काफी जद्दोजहद के बाद संसद में दिल्ली हिंसा पर चर्चा होली के तुरंत बाद शुरू हुई और चर्चा लंबी चली। सारा विपक्ष इस हिंसा के लिए केंद्रीय सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहा था और

सुनियोजित साजिश के तहत किए गए थे दंगे - दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग

  दंगों की जांच के लिए दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की गठित कमेटी का कहना है कि दिल्ली के उत्तर-पूर्वी ज़िले में फ़रवरी में हुए दंगे सुनियोजित, संगठित थे और निशाना बनाकर किए गए थे। यही नहीं 23 फ़रवरी, 20 को भाजपा नेता कपिल मिश्रा के मौजपुर में दिए गए भाषण के फ़ौरन बाद दंगे भड़क गए। इस भाषण में कपिल मिश्रा ने जाफ़राबाद में सीएए के विरोध में बैठे प्रदर्शनकारियों को बलपूर्वक हटाने की बात की थी और दिल्ली पुलिस के डीसीपी वेद प्रकाश सूर्या की मौजूदगी में कपिल मिश्रा ने ये भड़काऊ भाषण दिया था। दिल्ली दंगों की भूमिका सीएए विरोधी आन्दोलनों में ही पड़ गयी थी। हालांकि दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट में पेश किए गए एक हलफ़नामे में कहा है कि अब तक उन्हें ऐसे कोई सबूत नहीं मिले हैं जिनके आधार पर ये कहा जा सके कि भाजपा नेता कपिल मिश्रा, परवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर ने किसी भी तरह लोगों को भड़काया हो या दिल्ली में दंगे करने के लिए उकसाया हो। दिल्ली पुलिस ने ये हलफ़नामा एक याचिका के जवाब में दाखिल किया जिसमें उन नेताओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने की बात कही गई है, जिन्होंने जनवरी-फ़रवरी में विवादित भाषण दिया