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मौलाना खालिद सैफुल्लाह अंसारी गंगोही

पिता का नाम हाफ़िज़ मुहम्मद यूसुफ अंसारी गंगोही। आप मौलाना रशीद अहमद गंगोही के पौत्र थे। आपने देवबंद में शिक्षा प्राप्त की। विद्यार्थी जीवन में ही उनको राजनीति से अत्यंत लगाव था। यह दारुल उलूम देवबंद में लेखक के सहपाठी भी रहे । सन् 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में सहारनपुर से गिरफ्तार हुए डेढ़ वर्ष की कैद हुई। सहारनपुर और मेरठ की जेलों में कैद का जीवन व्यतीत किया। जब उनकी रिहाई हुई तो देवबंद में पढ़ाई पूरी करने के बाद सऊदी अरब चले गए और जीवन भर वहीं नौकरी करते रहे। रिटायरमेंट के बाद भारत लौटे और कुछ वर्षों के बाद देहांत हो गया । आप उन विद्यार्थियों में से थे, जिन्होंने अपने विद्यार्थी जीवन के दिनों में स्वतंत्रता के आंदोलन में भाग लिया और दारुल उलूम देवबंद का प्रतिनिधित्व किया। प्रस्तुति एस ए बेताब   संपादक बेताब समाचार एक्सप्रेस

मौलाना मज़हरुल हक़ देश भक्ति का महान धरोहर

 मौलाना मज़हरुल हक़ का जन्म 24 दिसम्बर, 1869 को मौज़ाबहपुरा में हुआ, जो पटना जिला के थाना मनेर में स्थित है। वह अपने पिता स्वर्गीय शेख अहमदुल्लाह साहब के इकलौते पुत्र थे। उनके दादा शौकत अली खाँ डिप्टी कलक्टर थे। प्रारम्भिक शिक्षा घर पर हुई। फिर बहपुरा स्कूल में नाम दर्ज कराया। 1886 में मैट्रिक पास कर के पटना कालेज में दाखिल हुए और उसके बाद 1887 में कैनिंग कालेज लखनऊ में दाख़िला लिया।उन्हें इंग्लैंड जाने का बहुत शौक था और इसलिए छिपते-छिपाते इंग्लैंड चले गए। ये अजीब संयोग है कि उनकी इस यात्रा में मोहनदास करमचंद गांधी भी यात्रा कर रहे थे। इस यात्रा में मज़हरुल हक और मोहन दास करमचंद गांधी की जान पहचान ही नहीं हुई, अपितु वे पक्के मित्र भी बन गये। मौलाना मजहरुलहक तीन वर्ष इंग्लैंड में । जुलाई 1891 ई. मेंपटना में वकालत की। सन 1892 में मुन्सिफ भी हो गये।मौलाना मज़हरुलहक अपनी उच्च बुद्धि, अच्छे वक्ता होने और योग्यता के आधार पर 1909 में कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष चुन लिए गए। मज़हरुलहक् स्वयं भारतीय राजनीति में एक सूफी (अध्यात्मवादी) थे, जिन्होंने अपनी दौलत प्रतिष्ठा, ख्याति और परिवार से सम्बंध

काकोरी मुकदमे के इंचार्ज तसदुक हुसैन, डिप्टी सुप्रिटेंडेंट सी.आई. डी. इम्पीरियल ब्रांच ने अश्फाकुल्लाह से जेल में भेंट की और कहा कि "देखो अफर हम दोनों मुसलमान हैं, राम प्रसाद हिन्दू है और हिन्दू राज्य स्थापित करना चाहता है। पुलिस को सभी बातों का ज्ञान हो गया है। अगर तुम साफ-साफ पुलिस को सब बता दो तो तुम बच सकते हो।" अशफाकुल्लाह ने कठोर स्वर में उत्तर दिया कि मैं ऐसी बातें सुनना पसंद नहीं करता। पंडित सच्चे भारतीय हैं और देश से सांप्रदायिकता समाप्त करना चाहते हैं।

सांप्रदायिकता को हराने के लिए आज भी  पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला जैसी दोस्ती की जरूरत है।  हिन्दोस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य सरकार से सीधा मुकाबला करना चाहते थे और कुछ न कुछ करके मर मिटने को तैयार थे।सदस्यों को बराबर रुपये पैसे की आवश्यकता रहती थी। इसलिए एक बड़ी स्कीम बनाई गई और यह निश्चित हुआ कि लखनऊ के पास आठ डाऊन टेन को रोक कर आने वाला रेल का खजाना लूट लिया जाए। काकोरी स्टेशन के निकट एक सुनसान स्थान चुन लिया गया। सभी तैयारी निर्भयता और तत्परता के साथ हुई। 9 अगस्त को शाम दस बजे शाहपुर से आठ डाऊन पैसिंजर ट्रेन में सवार  होकर लखनऊ के लिए चल पड़े। अश्फाकुल्लाह सेकेंड कालम के डब्बे में थे और अन्य तीसरे श्रेणी के अलग-अलग डब्बों में सवार थे। उनके पास पिस्तौल, संदूक तोड़ने के लिए हथौड़ा, छेनी और कुल्हाड़ी आदि थी।गाड़ी जब काकोरी स्टेशन के निकट पहुंची तो सतरे की जंजीर खींच ली गई। गाड़ी रुकते ही गार्ड नीचे उतर आया। उसके सीने पर पिस्तौल तान ली गई। एक युवक ने अंग्रेज़ ड्राईवर को कुर्सी से नीचे गिरा दिया। दो व्यक्तियों ने ब्रेक वेन से लोहे के संदूक को गिरा दिया। अश्फाकुल्लाह के

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में उर्दू को सरकारी कामकाज की दूसरी भाषा घोषित करने के फैसले पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाते हुए कहा कि देश के भाषाई कानून सख्त नहीं बल्कि भाषाई पंथनिरपेक्षता का लक्ष्य हासिल करने के लिए उदार हैं।

  सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में उर्दू को सरकारी कामकाज की दूसरी भाषा घोषित करने के फैसले पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाते हुए कहा कि देश के भाषाई कानून सख्त नहीं बल्कि भाषाई पंथनिरपेक्षता का लक्ष्य हासिल...  क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश की दूसरी राजभाषा उर्दू है  किसी भी सरकारी  विभाग में आप अपनी  दरखास्त उर्दू में दे सकते हैं 1989 को उत्तर प्रदेश के विधानसभा में उर्दू को  उत्तर प्रदेश की राजभाषा के रूप में  पारित का किया था। यह हिंदुस्तान अखबार की वेबसाइट की खबर नीचे दी गई है जिसमें सुप्रीम कोर्ट के द्वारा उर्दू को राजभाषा घोषित करने पर मोहर लगाई गई थी सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में उर्दू को सरकारी कामकाज की दूसरी भाषा घोषित करने के फैसले पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाते हुए कहा कि देश के भाषाई कानून सख्त नहीं बल्कि भाषाई पंथनिरपेक्षता का लक्ष्य हासिल करने के लिए उदार हैं। मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने उप्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन की अपील पर गुरुवार को दी व्यवस्था में कहा कि संविधान राज्य सरकार को हिन्दी के अतिरिक्त एक या उससे अधिक भाषाओं के इस्तेमाल स

देश को अम्बेडकर-वादी छुट भैये अवसर-वादी नेताओ ने बर्बाद किया है कि EVM-कोलजियम ने

*👉(1)--आओ सबसे पहले भीमवादी-हसरत मोहानी-वादी बनकर तर्क करते है कि आखिर भीमराज-शूद्रराज का बिगुल क्यों नही बज पा रहा है उस पर घनन विचार करते है तथा कैसे रामराज्य-मनुराज सरकार का अंत हो उस पर भीमवादी बनकर अम्बेडकर-वादी छुट भैये अवसर-वादी का पर्दाफाश करते है* *👉(2)--अम्बेडकर-वादी छुट भैये अवसर-वादी नेताओं कि हरामीपन्ती व मटर-गश्ती और उनकी आदत पर कटाक्ष करते हुए समझते है कि अम्बेडकर-वादी छुट भैये अवसर-वादी नेताओं द्वारा ''बैलेट-पेपर'' दफन किया गया है कि रामवादी-मनुवादी नेताओं द्वारा EVM और कोलजियम-सिस्टम का उदय किया गया है इस पर अम्बेडकर-वादी नही बल्कि भीमवादी बनकर समझेंगे तभी समझ पायेंगे* *👉(3)--आओ इसका भी खुलासा करे कि अम्बेडकर-वादी छुट अवसर-वादी नेतागण ताकतवर होकर भी राजनीति के क्षेत्र मे नालायक और अपाहिज कैसे बन गये है क्योंकि आज MUSLIM SC ST OBC शूद्र वंचित हजारो कलाकार जाति पेशेवर जाति वाले कामगार-श्रमिक-मजदूर-बहुजन लोग इन्ही अम्बेडकर-वादी छुट भैये अवसर-वादी नेताओ कि हरामीपन्ती व मटर-गश्ती कि वजह से काँग्रेस/BJP के कैसे गुलाम और रखैल वोटर-मतदाता बनकर जिल्लत-भरी जिन