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उत्तर प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति पर प्रतिवर्ष बढ़ रहा है कर्ज का बोझ

 लखनऊ. उत्तर प्रदेश के हर नागरिक पर 22,442 रुपए का कर्ज है। पिछले एक साल में यह 1340 रुपए बढ़ा है। मंगलवार को वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना द्वारा पेश किए गए बजट में राज्य सरकार पर कर्ज का बोझ 516 लाख करोड़ रुपए से अधिक होने का अनुमान है, जो राज्य के कुल बजट 512 लाख करोड़ रुपए से अधिक है।👪

सीएम ने कहा- सरकार कर रही वित्तीय अनुशासन का पालन

बजट प्रस्तुत होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रेसवार्ता कर दावा किया- सरकार वित्तीय अनुशासन का पालन कर रही है। अगले वित्त वर्ष के दौरान अपेक्षित ऋण राशि के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति राज्य में 23 करोड़ की आबादी को ध्यान में रखते हुए 2019-20 की तुलना में एक वर्ष में ऋण प्रति व्यक्ति 22,442 रुपए होगा, जो एक वर्ष में लगभग 1340 रुपए बढ़ रहा है। वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने राजकोषीय घाटे पर कहा- चालू वित्त वर्ष के दौरान राज्य में प्रति व्यक्ति ऋण लगभग 21,102 रुपए था।

साल दर साल बढ़ा रहा कर्ज का बोझ

  • साल 2018-19 में राज्य के कुल ऋण 442,508.70 करोड़ रुपए के साथ प्रति व्यक्ति ऋण लगभग 19,239 रुपए था। पहले का अनुमान 443362.52 करोड़ रुपए था और इसलिए राज्य की आबादी लेने के बाद प्रति व्यक्ति ऋण 20,152 रुपए था।
  • साल 2017-18 में प्रत्येक नागरिक का कार्मिक ऋण लगभग 18,476 रुपए था, जबकि राज्य पर कुल ऋण 406474.31 करोड़ रुपए था। इस प्रकार 2017 में राज्य में भाजपा की सरकार आने के बाद और एक साल के भीतर प्रत्येक नागरिक का कर्ज 1676 रुपए बढ़ गया। 2016-17 में प्रत्येक व्यक्ति पर लगभग 16,973 रुपए का कर्ज था, जबकि, राज्य पर कुल कर्ज 373417.33 करोड़ रुपए था।
  • 2015-16 में राज्य में प्रत्येक व्यक्ति पर ऋण 14,724 रुपए था, जबकि राज्य पर कुल ऋण 323935.66 करोड़ रुपए था।

2020-21 में ऋण 28.8 फीसदी
उत्तर की आबादी 230 मिलियन है। आंकड़ो के अनुसार- राज्य का ऋण बोझ 2016-17 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का लगभग 28 से 30 प्रतिशत था। वहीं, 2014-15 में 27.9 प्रतिशत था। हालांकि, 2017-18 में यह बढ़कर 29.6 प्रतिशत हो गया, लेकिन चालू वित्त वर्ष में यह लगभग 28.2 प्रतिशत पर आ गया। 2020-21 में ऋण प्रतिशत लगभग 28.8 प्रतिशत होगा। आगामी वित्त वर्ष के दौरान यूपी सरकार के कुल अपेक्षित ऋणों में से अधिकतम 323461.48 करोड़ रुपए के बाजार ऋण से होगा, जो कुल ऋणों का 18.1 प्रतिशत है।


यूपी सरकार को केंद्र से 11815.12 करोड़ रुपए, वित्तीय संस्थानों से 19368.64 करोड़ रुपए और बिजली बांडों से 42277.10 करोड़ रुपए के ऋण की भी उम्मीद है। बजट के आंकड़ों के अनुसार- राज्य द्वारा 2020-21 के दौरान 500558.53 करोड़ रुपये का कुल राजस्व उत्पन्न किया जाएगा, जिसमें सबसे अधिक 33 प्रतिशत राज्य करों से, 30.4 प्रतिशत केंद्रीय करों से और 14.4 प्रतिशत हिस्सा राज्य करों से आएगा। सरकार सार्वजनिक ऋणों से राजस्व का 13.1 प्रतिशत एकत्र करेगी।

37.1 फीसदी धनराशि सरकार कर्मियों पर खर्च करेगी
सरकार द्वारा 5,12,860.87 करोड़ रूपए के कुल खर्च के साथ अधिकतम 37.1 प्रतिशत सरकारी कर्मचारियों और सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों और पेंशन के लिए वेतन, पेंशन और भत्तों के भुगतान के लिए खर्च किया जाएगा। राज्य ऋण पर ब्याज का भुगतान करने के लिए धन का 7.6 प्रतिशत भी खर्च करेगा, ऋण का भुगतान करने के लिए पांच प्रतिशत, जबकि 16.1 प्रतिशत पूंजीगत व्यय पर खर्च किया जाएगा। सीएम आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार 3.3 प्रतिशत का भुगतान सब्सिडी पर करेगी

सोमवार को पेश राज्य सरकार के बजट आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 19 लाख 40 हजार 527 करोड़ रुपये है। वहीं नये वित्तीय वर्ष 2021-22 में एसजीडीपी बढ़कर 21 लाख 73 हजार 390 करोड़ रुपये हो जाएगी। यह धनराशि चालू वित्तीय वर्ष के मुकाबले 2 लाख 32 हजार 863 करोड़ रुपये अधिक है। 

प्रति व्यक्ति कर्ज 1968 रुपये बढ़ जाएगा
विकास के साथ ही राज्य की ऋणग्रस्तता भी बढ़ रही है। चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य की कुल ऋणग्रस्तता 565909.69 करोड़ रुपये है। नये वित्तीय वर्ष 2021-22 में ऋणग्रस्तता 611161.85 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान बजट में किया गया है। 23 करोड़ आबादी में इन कर्जों को बांटा जाए तो 2021-22 में प्रति व्यक्ति कर्ज 26572 रुपये होगा। 2020-21 में प्रति व्यक्ति कर्ज 24604 रुपये है। यानी विकास के साथ ही राज्य में प्रति व्यक्ति कर्ज के आंकड़ों में 1968 रुपये की वृद्धि हो जाएगी। 

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