"जिसकी लाठी उसकी भैंस"
यह तो पहले से होताआया है
बहुत इंतजार के बाद बाबरी मस्जिद का फैसला आ गया। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना ही दिया। सुप्रीम कोर्ट, सुप्रीम है अब फैसला जो भी आए आप उससे संतुष्ट हो या असंतुष्ट हो इसके बाद भारत में कोई दूसरी अदालत नहीं । सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानना होगा ।जब फैसला नहीं आया था तो कुछ लोग जो यह कहते थे कि वह सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं मानेंगे । फैसला आने से पूर्व कुछ लोग एक माहौल तैयार करने में लग गए । यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला जो भी आए हम सबको सद्भाव बनाए रखना है । प्यार मोहब्बत से रहना है ,किसी तरह का कोई विरोध प्रदर्शन नहीं करना है ।जगह-जगह शांति मीटिंग होने लगी और जो शांति के लिए प्रशासन के कहने पर काम करते हैं वह सब लोग उसमें लग गए। उत्तर प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई। दंगा फसाद रोकने के लिए पुलिस प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए उत्तर प्रदेश ही नहीं देश के अन्य राज्यों को भी हाई अलर्ट पर रखा गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद बिल्कुल शांति है ,बराबर शांति बनी हुई है, जैसी धारा 370 को कश्मीर में हटाए जाने के बाद शांति बनी हुई है ।वहा भी धारा 370 हटने के बाद लोग शांति से रह रहे हैं और अब वहां विकास की गंगा बहेगी। उत्तर प्रदेश में बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि का निर्णय आने के बाद लोगों में कुछ परिवर्तन आए ,ऐसा लोग कह रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद अब भारत के मुसलमान भी शांति से अपना जीवन गुजार रहे हैं ।कुछ लोग कह रहे हैं कि अदालत का फैसला बहुत अच्छा आया है। मैंने टीवी डिबेट पर इस फैसले के बारे में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के सैयद यासिर जिलानी जैसे लोगों को देखा जो बहुत खुश नजर आए । वैसे निराश तो किसी को भी नहीं देखा गया। ए आई एम आई एम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जो हमेशा बाबा साहब के संविधान की बात करते हैं, उन्होंने इस फैसले के बाद एक बार फिर संविधान की बात ही करी । जो कुछ लोगों को बुरी लग गई । कुछ लोग इसे संविधान का राग अलापना भी कह रहे हैं । (मैं उनकी बात से सहमत नहीं हूं )
भारत के गांव के एक कम पढ़े-लिखे बुजुर्ग से हमने बात की उन्होंने कुछ इस तरह अपने अल्फाज ब्यान किए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में।
" सुप्रीम कोर्ट का फैसला बहुत बढ़िया है ।थोड़ा और कुरेदा तो उन्होंने कहा
"यह तो पहले से होता आया है !
जब हमने पूछा क्या होता आया है ? तो उन्होंने कहा कि "सब जानते हैं ,
"हम तो नहीं जानते हैं ! तो उन्होंने कहा
" बाबू तुम पढ़े-लिखे हो हम क्या जाने कानून की बात। हमने कहा "बाबा किस बात की और आपका इशारा है। तो उन्होंने कहा कि
"बेटा मेरी एक बात याद रखना जीवन में,हमने भी जमीन का एक मुकदमा लड़ा था ।
हमने पूछा "बाबा क्या आप की जमीन मिल गयी। वह बोले
" बेटा जमीन तो नहीं मिली हमने इंसाफ पाने की खातिर अपना घेर (पशुओ का बाडा) भी भेज दिया, उस मुकदमे में।
" तो फिर क्या बाबा तुम्हारी जमीन मिली तुम्हें ?
"जमीन तो मिलनी ही नहीं थी। बाबा ने कहा
हमने कहा "बाबा फिर मुकदमा क्यों लड़ा?
तो उन्होंने कहा कि "दो पैसे की हंडिया गई, कुत्ते की जात, पहचानी गई
"हम आपकी पहली नहीं समझे बाबा । बाबा ने कहा "अपने बड़ों से जाकर पूछना ,गांव में रहने वाला कोई भी आपको इस पहेली का जवाब दे देगा।
हमने बाबा से पूछा "आप की जमीन क्या वास्तव में आप की थी?
बाबा बोले "सौ पर्सेंट सारे जमाने को पता है ।
"तो फिर आप की जमीन कैसे छीन ली गई ।
बाबा ने कहा "ताकत के बल पर ! हमने कानून का सहारा लिया और कानून के पचड़े का हमें पता नहीं था कि कानून भी ताकतवर के साथ है । इस दौरान मेरे परिवार के 4 लोग मारे जा चुके हैं ।
"तो बाबा समझौता कर लेते हमने कहा ,बाबा बोले
"हमने कई बार सोचा कि फैसला करें! लेकिन जमीन छीनने वाला मुठ मर्द था। कभी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं हुआ ।
मेरे चार बेटे मारे गए हां एक बेटा उसका भी मारा गया। खून खराबा हो चुका । अब दोनों परिवार कुछ सालों से शांत है ।
"बाबा क्या जमीन का फैसला आ गया। तो बाबा बोले "सबसे बड़ी अदालत से नीचे वाली अदालत से आया है। हमने अपील कर रखी है ।
बाबा फैसला क्या आया है?
"हमारी जमीन जो उसने कब्जा रखी है वह उसे दे दी कोर्ट ने। यह फैसला आया है तो बाबा अब आपको क्या उम्मीद है?
बाबा बोले सुप्रीम कोर्ट का फैसला देख कर मुझे अपने दादा की बात याद आ रही है ।
हमने पूछा "बाबा क्या बात याद आ रही है, तो बोले मेरे दादा मुझे लाठी चलाना सिखाते थे, और मेरे दादा लाठी चलाने में बहुत निपुण थे। वह बताते थे कि बेटा लाठी चलाना सीख लो, बुरे वक्त में काम आती है। और बाबा ने एक मिसाल दी "जिसकी लाठी उसकी भैंस " और यह पहले से होताआया है।
प्रस्तुति एस ए बेताब संपादक https://youtu.be/cZyPblXv6qQ
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