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काँग्रेस-BJP दलित-मुस्लिम अर्थात मायावती जी को P.M बनाने से क्यों डरती है




चलो माना बाबासाहेब देश का पहला P.M बनने वाले थे

*इसीलिए बाबा-साहेब नाम का दलित शेर मुस्लिम-कौम  के बल देश का प्रधानमंत्री न बनने पावे*

*या मुस्लिम-कौम वाले मौलाना अबुल कलाम आजाद देश का प्रधानमंत्री न बनने पावे*

*क्या इसीलिए देश का बँटवारा हुआ था* 

*क्या सपा-बसपा गठबंधन देश लेबल पर काँग्रेस-BJP को एक साथ दफन करने वाला था*

*इसलिए सपा-बसपा गठबंधन को U.P मे ही रोक दिया गया मानो U.P के बाहर फैलने नही दिया गया* 

*किस वजह से स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव साहब को मुल्ला-मुलायम नाम दिया गया*

*यदि मुल्ला-मुलायम सिंह यादव साहब BSP के जन्मदाता मान्यवर काँशीराम साहब के साथ वफादारी दिखाये होते*

*तो काँशीराम नाम यह भीमवादी दलित बब्बर शेर 1990 मे देश का प्रधानमंत्री बनकर बाबा-साहेब का बदला लेकर शूद्रराज-भीमराज का बिगुल बजा दिये होते----क्या ये सच है कि बनावटी कथन है*

*लेख लम्बा नही है परन्तु बहुजन हसरत पार्टी BHP द्वारा लिखा गया यह लेख देशहित-जनहित मे काँग्रेस-BJP के अलावाँ अन्य नये-पुराने छोटे-बड़े दल अपने नाम से भी ''कॉपी-पेस्ट'' करके छाप सकते है बहुजन हसरत पार्टी BHP को कोई एतराज और दिक्कत नही है मगर लिखने मे कोई अपराध या गलती हो गई हो तो देशहित-जनहित मे माफ कीजिए क्योंकि बहुजन हसरत पार्टी BHP का यह लेख जहरीला और खतरनाक है देश कि आन-बान-शान कैसे अ-संवैधानिक तरीके से काँग्रेस/BJP और उनके इशारे चलने वाली अन्य पार्टियाँ लहु-लुहान कर रही है विस्तार से तर्क के आधार लिखने कि कोशिश कि गई है यदि लेख सही लगे तो इसकी जिराक्स कॉपी निकालकर देश के कोने-कोने मे अम्बेडकर-वादी नही बल्कि भीमवादी बनकर ऐसा बाँटो कि रामराज-मनुराज सरकार फिर दुबारा इस देश मे न बनने पावे और रामराज-मनुराज सरकार जिस EVM-कोलजियम-सिस्टम वाली अदालत के बल पर बन रही है वह EVM-कोल्जिएम भी रामराज-मनुराज सरकार कि भाँति से दफन हो जावे इसलिए लेख को अंत तक पढ़ना उतना ही जरूरी है जितना रेगिस्तान मे प्यासे को पानी कि जरूरत होती है तथा अंधे को जैसे आँख कि जरूरत होती है*

*चलो माना कि मायावती जी प्रधानमंत्री बनने लायक नही है---*

*नोट:--परन्तु काँग्रेस/BJP से सीधे-सीधे देश लेबल पर टक्कर लेने वाला है कौन----? इस दलित शेरनी बहन मायावती जी के पास अगर टक्कर लेने कि औकात और हैंसियत और हिम्मत नही है तो क्या नीचे दिये जा रहे छुट भैये अवसर-वादी नेतागण के पास औकात और हैंसियत और हिम्मत है---हा हा हा हा हा हा हा हा----नीचे दिये जा रहे नेतागण में---तथा तथा तथा---मायावती जी में कौन ''अम्बेडकर-वादी'' है और कौन ''भीमवादी'' है इसका खुलासा और अंदाजा और फैसला समय निकालकर पढ़ने वाले लोगो को करना होगा बहुजन हसरत पार्टी BHP "बुद्ध के शूद्र" जो आज के Muslim Sc St Obc वंचित हजारों कलाकार जाति पेशेवर जाति वाले कामगार-श्रमिक-मजदूर-बहुजन लोग है सब दारोमदार इन सभी के ऊपर छोड़ती है--टन टना टन--टन* 

*स्वर्गीय मुल्ला-मुलायम सिंह यादव साहब का नादान नासमझ लड़का अखिलेश यादव-----लालू प्रसाद यादव साहब------ममता बनर्जी साहिबा-----आरक्षण विरोधी अरविंद केजरीवाल------पल-पल गिरगिट से भी हरामी रंग बदलने वाला बाबू नीतीश कुमार------ओवैसी महाराज प्रभु------आजम खाँन साहब------फारूक अब्दुल्ला कश्मीरी पंडित------गुलाम नबी आजाद कश्मीरी पुजारी------EVM विरोधी यात्रा को रोकने वाले तमिलनाडु स्टालिन-------तेलंगाना के सांविधान विरोधी  राव------आदि वगैरह का खंड-खंड करके उपलब्धि लिखी जा रही है कि काँग्रेस/BJP से एक साथ टक्कर लेना मायावती जी के अलावाँ और किसके पास देश सम्भालने कि काबिलियत है---टन टना टन--टन* 

*(क)--अखिलेश यादव के पास एक जीरा/तील/रत्ती बराबर सूझ-बूझ नही है क्योंकि जब मुल्ला-मुलायम सिंह यादव साहब जिन्दा थे तो यह बचकानी दिमाँग वाला अखिलेश यादव U.P का मुख्यमंत्री बनकर मुल्ला-मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व मे अपना कार्यकाल पूरा कर लिया था वरना---?* 


*(ख)--यदि मुल्ला-मुलायम सिंह यादव साहब कि रेख-देख मे यह अखिलेश यादव कि मुख्यमंत्री कि कुर्सी का जिम्मा और अधिकार न रहा होता तो यह अखिलेश यादव एक क्षण मुख्यमंत्री का वजन/भार नही उठा पाते आज अखिलेश यादव तो इस भीमवादी दलित शेरनी बहन मायावती जी के नजदीक बैठने के लायक नही है यह बहुजन हसरत पार्टी BHP का देशहित-जनहित मे दावा है*


*(ग)--हाँ शिवपाल सिंह यादव साहब मे मुख्यमंत्री बनने कि वह सब खूबी मौजूद और जिन्दा थी परन्तु मुल्ला-मुलायम सिंह यादव साहब ने पुत्र मोह मे पड़कर समाज को एक ऐसा ना समझ नादान मुख्यमंत्री देश/U.P प्रदेश को दे दिया था जिसका नुकसान और खामियाजा आजीवन अब बुद्ध के शूद्र जो आज के Muslim Sc St Obc वंचित हजारो कलाकार जाति पेशेवर जाति वाले कामगार-श्रमिक-मजदूर लोगो को भुगतना पड़ रहा है*


*(घ)--क्योंकि आज समाजवादी पार्टी जिसको भीमवादी दलित बब्बर शेर मान्यवर काँशीराम साहब ने सहारा देकर चन्द नारों से समाजवादी पार्टी को देश कि जबरजस्त और मस्त सजावट पार्टी बना दिया था---------यदि काँग्रेस-BJP के कहने पर मुल्ला-मुलायम मान्यवर काँशीराम साहब जी को धोखा न/गद्दारी न करता तो मान्यवर काँशीराम साहब जी कब के प्रधानमंत्री बन जाते...।*


*नारा---नारा---नारा---*


*👍मिले मुलायम काँशीराम*

*हवा मे उड़ गये जय श्री राम*


*👍नीचे गाँधी ऊपर राम*

*राम के ऊपर काँशीराम*


*(ङ)--परन्तु मुल्ला-मुलायम सिंह यादव साहब और उनके नादान नासमझ लड़के अखिलेश यादव ने शिवपाल सिंह यादव को रास्ते से हटाकर उस सजावट पार्टी को समाप्त वादी पार्टी मे विलय कर दिया अर्थात समाप्तवादी-पार्टी कि तरफ मोड़ दिया*


*(च)--देश-दुनियाँ को पता है कि बाबरी-मस्जिद के कँधे का इस्तेमाल करके RSS-BJP कि जननी काँग्रेस ने BSP को तहस-नहस और बर्बाद करने के लिए तथा देश का वफादार मुसलमान BSP के जन्मदाता मान्यवर काँशीराम साहब के साथ न जाने पावे इसलिए ''मुल्ला-मुलायम'' नाम कि जाल मे फँसाकर वफादार मुसलमान भाई के साथ छल किया गया*


*(छ)--मुल्ला-मुलायम सिंह यादव नाम कि जाल मे वफादार मुसलमान भाई फँसकर अपनी नवाबी खुद मुल्ला-मुलायम सिंह यादव साहब को सौंप दिया उदाहरण U.P मे 8 से 10% यादव भाई है 21 से 22% वफादार मुसलमान भाई है फिर भी वफादार मुसलमान भाई को डिप्टी C.M भी नही बनाया जाता है टन टना टन---टन*


*(ज)--RSS-BJP कि जननी काँग्रेस ने जैसा मुल्ला-मुलायम सिंह यादव साहब को वफादार मुसलमान भाई को लुभाने का दिशा-निर्देश दिया था ठीक उसी तरह इस समय बंगाल कि ममता बनर्जी वफादार मुसलमान भाई कि मसीहा बन रही है* 


*(झ)--सवाल यह उठता है कि वफादार मुसलमान भाई तो कभी ममता बनर्जी साहिबा को ये नही कहा कि रामनवमी आदि त्योहार पर हिन्दू धर्म पर घात/हमला करे इससे ऐसा प्रतीत होता है कि कल का मुल्ला-मुलायम सिंह यादव साहब कहीं आज कि ममता बनर्जी साहिबा तो नही है टन टना टन टन*


*नोट:--जैसे ही BSP+BJP कि गठबंधन कि सरकार आगे चलाने के लिए "जय भीम" नारे के बदले जय श्री-राम का नारा लगाने का दबाव BJP ने लगाया तो मान्यवर काँशीराम साहब जी ने 25/8/2003 को सरकार को लात मारकर बर्खास्त किया और आल-इंडिया कार्यकर्ता सम्मेलन में "अगर मैं प्रधानमंत्री होता ऐसी घोषणा करके 2004 में केंद्र में सरकार बनाने का जैसे ही ऐलान किया तो BJP ने अपने प्यादे मुल्ला-मुलायम सिंह यादव के माध्यम से दल-बदल कानून कि धज्जियाँ उड़ाकर BSP के विधायक तोड़कर मुलायम सिंह यादव कि अ-संवैधानिक सरकार बनाई थी जिसमे BJP के केसरीनाथ त्रिपाठी को ही वापस विधानसभा अध्यक्ष मनोनीत किया और काँग्रेस ने इस BJP+SP कि असंवैधानिक सरकार को बाहर से समर्थन दिया था तथा कोल्जिएम-सिस्टम से आये हुए सुप्रीम-कोर्ट के जजों ने भी इस अ-संवैधानिक सरकार को साढ़े-तीन साल धड़ल्ले से चलने दिया और मुल्ला-मुलायम सिंह यादव कि सरकार का कार्यकाल समाप्त होने के चंद-दिन पहले कैसे अ-संवैधानिक घोषित किया ये सवाल आज भी बना हुआ है दूसरा सवाल ऐसा पैदा होता है कि जो साढ़े-3-साल मुल्ला-मुलायम सिंह यादव कि सरकार ने जो-जो फैसला और आदेश या नये-नये कानून पास किये होगे उसका क्या हुआ जब सरकार अ-संवैधानिक थी तो तमाम कानून और फैसला कैसे अ-संवैधानिक नही हो सकते है जैसे 8/10/2013 को माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश कि धज्जियाँ उड़ाकर काँग्रेस ने वगैर VVPAT लगाये जटाधारी-फेकूचन्द मोदी महराज वाली BJP कि सरकार बनायी देश के MUSLIM SC ST OBC भाईयों ने इस BJP+SP+काँग्रेस गठबंधन कि अ-संवैधानिक सरकार को उखाड़कर फेंककर उनकी औकात दिखाते हुए 2007 में BSP कि बहुमत कि सरकार बनाई.....2008-09 में परमाणु डील के मुद्दे पर भीमवादी दलित शेरनी बहन मायावती जी का नाम प्रधानमंत्री के लिए देश के पटल पर आते ही मुलायम सिंह और BJP ने नोट के बदले वोट कांड करवाकर अल्पमत में आयी काँग्रेस सरकार को बचाया....दलित,+MUSLIM 1943-बंगाल कि भाँति देश लेबल एक होकर 2022 मे BSP में न जाने पावे दलित-मुस्लिम को रोकने के लिए RSS-BJP कि जननी काँग्रेस ने EVM-कोलजियम पर कोई आँच न आवे  इसलिए आपस मे अंदरूनी साँठगाँठ करके SP+BJP गठबंधन करके 2022 का चुनाव लड़ा जिसका सबूत यह है कि गोदी मीडिया किसी भी विरोधी पार्टी कि खबर मीडिया में नही दिखाई परन्तु 2022 UP के चुनाव में ये गोदी मीडिया ने समाजवादी पार्टी व BJP में काँटे कि टक्कर है ऐसा षड्यंत्र-कारी प्रचार/प्रसार किया कि पूँछो मत-वाकई मे ये गोदी-मीडिया ने गजब समाप्तवादी-पार्टी और BJP मे आपसी दुश्मनी बताकर वफादार मुसलमान भाईयों को गुमराह करने मे 100% सफल हो गई जिसके झाँसे में आकर 60% मुस्लिम समाज व 40% दलित समाज के वोट काँग्रेसी EVM देवता यंत्र के कंधे पर चुरा लिया.....60% मुस्लिम और 40% दलित वोट मिलने के बावजूद समाजवादी पार्टी BJP को कैसे रोक नही पाई जबकि चुनाव के पहले गोदी-मीडिया बहुमत से ज्यादा सीट समाजवादी पार्टी कि सीट दिखा रही थी परन्तु BJP अपनी सरकार कैसे बना ली है जिस अखिलेश यादव ने मतगणना के एक दिन पहले EVM खिलाफ बोलने का ढोंग किया था वही अखिलेश यादव मतगणना के बाद चुनाव आयोग से रिकॉउंटिंग तथा VVPAT कि पर्चियों का EVM से मिलान कराने कि माँग करने के बजाय EVM पर चुप्प कैसे हो गया? कैसे BSP को सत्ता में आने से रोकने के लिए अखिलेश यादव ने मुस्लिम-दलितों को गुमराह करके  BJP कि सरकार बनाई इसका एहसास मुस्लिम कौम व दलित समाज को हुआ चुका है और अब मुस्लिम समाज फिर 1943-बंगाल कि भाँति BSP कि तरफ 101% मुड़ चुका है और 2024-मे एक बार मौका देकर दलित भाई के संग मिलकर नवाबी मुद्दे पर जबरजस्ती केंद्र कि कुर्सी पर BSP/भीमवादी दलित शेरनी बहन मायावती जी को बैठाने कि ठान लिया है इसी घबराहट कि वजह से अखिलेश यादव ढोंग करके कभी शूद्र-शूद्र तो कभी दलित-दलित कहता फिर रहा है और बौखलाहट मे मान्यवर काँशीराम साहब के पुतले का अनावरण करने का नाटक भी कर रहा है जैसे काँग्रेस ने बाबासाहेब जी को उनके जीवित काल मे इतना सताया और मजबूर किया था बदनाम किया-धमकाया परन्तु उनके परिनिर्वाण-देहांत-इन्तेकाल के बाद बाबा-साहेब के पुतलों का अनावरण वगैरह करके दलितों को अपनी तरफ मोड़ने कि बहुत कोशिशें कि है उसी भाँति जिस मुलायम सिंह यादव को मान्यवर काँशीराम साहब ने CM बनाया था उसी मान्यवर काँशीराम साहब को उनके जीवित-काल में अन-गिनत तकलीफें दी उसी मुलायम सिंह यादव कि गद्दारी के कारण 15/9/2003 को मान्यवर काँशीराम साहब को शायद ब्रेन स्ट्रोक आया था इसी समाजवादी पार्टी ने अम्बेडकर पार्क को अय्याशी का अड्डा कहा था तथा मान्यवर काँशीराम साबह के नाम सहित अन्य बहुजन  महापुरुषों के जिलों को दिए हुए नाम बदल डाले तथा प्रमोशन में आरक्षण बिल भी फाड़ डाला था पास होने नही दिया था अब यह समाजवादी पार्टी हकीकत मे समाप्त वादी पार्टी बन गई है अखिलेश यादव अपने पिता कि भाँति BJP का No-1 प्यादा बन गया है इसलिए मुस्लिम वोट BSP में जाने से रोकने के लिऐ तथा दलित को ठगने के लिए तथा इस काँग्रेसी EVM देवता यंत्र के माध्यम से पुनःह BJP कि सरकार बनाने के लिए अखिलेश यादव मान्यवर काँशीराम साहब के पुतले का अनावरण कर रहा है और जिस ममता बनर्जी का एक वोट भी उत्तर प्रदेश में नही है उसके साथ फ्रंट बनाने का नाटक कर रहा है...टना टन टन* 


*(ञ)--जिसका रंज और दुख और गम बहुजन हसरत पार्टी BHP को नही है बल्कि ''कला और पेशा'' मे बँटी वंचित हजारो कलाकार जाति पेशेवर जाति वाले कामगार-श्रमिक-मजदूर-बहुजन लोगो को है दलित+मुस्लिम अपनी आबादी के चलते केंद्र तथा सभी राज्यों में सरकारे बना सकते है 1943 बंगाल कि भाँति दलित+मुस्लिम भीमवादी दलित शेरनी बहन मायावती जी /BSP के नेतृत्व में पुनःह एक होकर बंगाल तथा सभी राज्य में व केन्द्र में सरकार न बना पावे जिससे डरी हुई काँग्रेस व BJP मुस्लिम समाज को BSP में जाने से रोकने के लिए खुद ही अपने प्यादों को अपना विरोधी बताते कर खड़ा करते है आगे करते है जैसे समाजवादी पार्टी, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल नितीश कुमार तथा छुट भैये अम्बेडकर-वादी आदि नेतागण ताकि काँग्रेस-BJP का विकल्प भीमवादी दलित शेरनी बहन मायावती जी /BSP न बने इसलिए देश मे हिंदू X नफरत फैलाने के लिए राहुल गाँधी अपनी दादी इंदिरा गाँधी और पिता राजीव गाँधी के भाँति सांविधान कि धज्जियाँ उड़ाकर अपने देश को इंडिया अर्थात भारत न बोलकर हिदुस्तान बोलता है जिसके लिए राहुल गाँधी और ऐसे तमाम नेता जो हिंदुस्तान बोलते है उन पर देश-द्रोह का मुकदमा होना चाहिए।*


*(ट)--क्योंकि जब BSP का उदय नही हुआ था तब दलित-मुस्लिम के बल पर काँग्रेस ने केंद्र मे 60-65 साल के इर्द-गिर्द शासन किया परन्तु पर्दे के पीछे से जिस तरह अटल बिहारी गाँधी उर्फ वाजपेई से 50% काम करवाया था*


*(ठ)--ठीक उसी अटल बिहारी गाँधी उर्फ वाजपेई कि जगह उस वाजपेई के चेला जटाधारी-फेकूचन्द नरेंद्र गाँधी उर्फ मोदी के कँधे पर बुद्ध के शूद्र जो आज के Muslim Sc St Obc वंचित हजारो कलाकार जाति पेशेवर जाति वाले कामगार-श्रमिक-मजदूर-बहुजन लोग है इनके हक-अधिकार पर काँग्रेस बुलडोजर चला रही है*  


*(ड)--आज देश के कलाकार जाति पेशेवर जाति वाले कामगार-श्रमिक-मजदूर-बहुजन लोगो का कहना है कि BJP देश बर्बाद कर रही है परन्तु जिनके बुजुर्गो ने शूद्र अति-शूद्र तथा अछूत-सछूत को भाँति-भाँति नाम देकर सदैव गुलाम और रखैल से बत्तर भयानक बनाया उनकी जिन्दा नस्ल क्या आज क्या अपने बुजुर्गो कि भूमिका/रोल नही अपनायेगी---टन टना टन---टन*


*ब्रेकिंग न्यूज--आओ आओ दिल थामकर बैठो और तर्क करो कि काँग्रेस/BJP एक है कि दोनो अलग-अलग है*


*(ढ)-काँग्रेस+BJP द्वारा लोगो मे अफवाह फैलाई गई कि भारत का बँटवारा धर्म के आधार पर हुआ है जो सरासर गलत है सच तो ये है कि आजाद भारत कि सत्ता MUSLIM SC ST OBC के हाथों में न जाए तथा बाबा-साहेब अम्बेडकर देश का पहला प्रधानमंत्री बनने पावे उन्हे रोकने के लिए काँग्रेस का पंडित नेहरू व गाँधी जी आदि लोगो ने भारत का बँटवारा किया है जो यही ऐतिहासिक सच है इस सच्चाई को छुपाने के लिए ही काँग्रेस/BJP लगातार हिन्दू-मुस्लिम मे बगावत का उदय करती चली आ रही है जो आज भी जारी है जिसका सबूत है नीचे दिया गया है जिसे अकल के ताले को खोलकर समझना उतना ही जरूरी है जितना रेगिस्तान में प्यासे को पानी कि जरूरत होती है।*


*(ण)-1943 में बाबा-साहेब ने हिन्दू महासभा व मुस्लिम लीग गठबंधन कि सरकार को उखाड़ फेंककर सर-ख्वाजा नज़मुद्दीन के नेतृत्व में दलित+मुस्लिम गठबंधन कि सरकार बनाई थी तो बंगाल कि भाँति शूद्रवंशी मुस्लिम व दलितों कि सरकारे केन्द्र व राज्यों में न बने इसलिए मोहनदास करमचंद गाँधी जी व पंडित नेहरू ने जिन्ना को मिलाकर भारत का बँटवारा करके पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनाने का लालच दिया और जहाँ काँग्रेस-पंडित नेहरू व गाँधी जी व जिन्ना कि मुस्लिम लीग को जहाँ कुत्ता भी नही पूँछता था वहाँ के दलित+मुस्लिम विधायक तथा 90% लोग बँटवारे के खिलाफ थे ऐसे पंजाब व बंगाल को बाँटकर पाकिस्तान बनवाया ताकि आजादी के बाद दलित+मुस्लिम गठबंधन करके डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर को देश का पहला प्रधानमंत्री बनने से रोका जाय।*


*(त)--29-4-1946 में 15 में से 12 वोट पाने वाले OBC नेता सरदार वल्लभ भाई पटेल को प्रधानमंत्री बनाने के बजाय 1-वोट पाने वाले पंडित नेहरू को मोहन दास करमचंद गाँधी जी ने अडिग होकर प्रधानमंत्री बनवाया...तथा कोई मुस्लिम भारत का प्रधानमंत्री न बने इसलिए काँग्रेस का अध्यक्ष होने के नाते मौलाना अबुल कलाम आजाद का प्रधानमंत्री बनने का कानूनन अधिकार होते हुए मोहनदास करमचंद गाँधी जी ने पंडित नेहरू को प्रधानमंत्री बनाने के लिए मौलाना आजाद कि प्रधानमंत्री बनने कि माँग को ठुकराते हुए देश मे हिंदू मुस्लिम नफरत माहौल बनाकर जिन्ना को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनाने का लालच देकर भारत का बटवारा करके पंडित नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया परन्तु मौलाना अबुल कलाम आजाद को भी प्रधानमंत्री नही बनने दिया*


*(थ)--परन्तु अफ़सोस इसके बावजूद भी इस मौलाना आजाद ने पंडित नेहरु कि बात मानते हुए बाबासाहेब जी द्वारा मुस्लिम भाइयों को संविधान में दिए जा रहे आरक्षण का विरोध किया मुस्लिम भाईयों को आरक्षण मिलने नही दिया जिसके लिए चंद लालची मुस्लिमों को छोड़कर भारत के 99% का मुस्लिम समाज के लोग मौलाना अबूल कलाम आजाद को गद्दार कहते है जिसके कारण आजादी से पहले मुस्लिम भाईयो को मिलने वाला 35% आरक्षण खत्म हुआ।*


*(द)--इतना ही नही जब 1948 लखनऊ के दलित+पिछडो के सम्मेलन में बाबा साहेब अम्बेडकरी जी ने जैसे ही कहा कि कि दलित+पिछड़े राजनैतिक तौर पर एक हो गए तो गोविंद वल्लभ पंत जैसे पंडित लोग तुम्हारे जूते की फीता-नाडा बांधने में खुद पर गर्व महसूस करेगा...तो दलित+पिछडो को एक करके डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर जी देश का प्रधानमंत्री न बने इसलिए दिसंबर 1949 में पंडित नेहरू ने षड्यंत्र से बाबरी मस्जिद में रात के अंधेरे में चोरी से राम लल्ला कि मूर्ती रखवाई और देश मे हमेशा के लिए  हिंदूXमुस्लिम नफरत फैलाने के षड्यंत्र के तहत 1949 फैजाबाद-अयोध्या के उप-चुनाव से ही काँग्रेस ने मंदिर वही बनाएंगे के नारे से चुनाव लड़कर देश मे बाबरी मस्जिद के खून कि स्क्रीप्ट लिख डाली ताकि देश मे हिंदूXमुस्लिम नफरत कि आड़ में OBC को हिंदू बनाया जा सके और OBC समाज को डॉ.अम्बेडकर जी के साथ जाने से रोक जा सके...जो आज भी जारी है।*


*(ध)--पंडित पुजारी कि काँग्रेस सत्ता में न आने पावे उसे रोकने के लिए बाबासाहेब जी ने राम मनोहर लोहिया से मिलकर गठबंधन करने कि योजना बनाई थी परन्तु बाबासाहेब के महा-परिनिर्वाण के बाद लोहिया ने RPI के साथ गठबंधन न करके काँग्रेस को सत्ता में आने दिया*


*(न)--1967 में 9 राज्यो में गैर-ब्राम्हणों ने गैर-काँग्रेसी सरकार बनाते ही इंदिरा गाँधी जी ने 1971 में पाकिस्तान से बांग्ला देश बनवा दिया तथा जिन्ना का रोल अदा करने के लिए 1973 में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बनाया और कोर्ट द्वारा चुनाव में गड़बड़ी करके जीती हुई सीट को रद्द किए जाने के कारण खुद कि प्रधानमंत्री कि कुर्सी बचाने के लिए 1975 में आपात काल लगाकर लोगो द्वारा चुनी हुई कि सरकारे बर्खास्त करा दी*


*(प)--बाबासाहेब के आंदोलन से हम M.P/M.L.A. नही बन सकते ऐसे मानकर RPI-अम्बेडकर-वादी नेताओं ने आंदोलन को बढ़ाने के बजाय खुद को आगे बढ़ाने के लिए 1971 में 521 सीटों में से सिर्फ 1-सीट पर RPI को लेकर काँग्रेस से समझौता करके बाबासाहेब अम्बेडकर के आंदोलन को तहस-नहस-बर्बाद-खत्म कर दिया अर्थात 521 मे से 520-सीट पर गाँधीवाद लड़ता था और सिर्फ 1-पर अम्बेडकर वादी लड़ पाता था जो आज भी जारी है इसलिए तो काँग्रेस आदि से गठबंधन करने के बावजूद भी खुद को अंबेडकर-वादी बोलने वाले इन तमाम लोगो कि पार्टी किसी भी राज्य में मुश्किल से 1-2 सीटे भी चुनकर नही ला पाती है*


*(फ)--आपात काल के बाद दलितों के वोट पाने के लिए जब जनता पार्टी ने अवसरवादी दलित नेता बाबू जगजीवन राम को प्रधानमंत्री का चेहरा के रूप उनका नाम आगे किया तो बाबू जगजीवन राम अवसरवादी दलित होने के बावजूद दलितों ने जनता पार्टी कि सरकार बनाई परन्तु इंदिरा गाँधी कि बहु मेनका गाँधी और काँग्रेस-वादी RSS प्रेमी समाजवादी नेता जय प्रकाश नारायण ने दलित बाबू जगजीवन राम को प्रधानमंत्री बनने नही दिया....पंडित मोरार जी देसाई को प्रधानमंत्री बनाया...इसी अवसरवादी दलित नेता जगजीवन राम को काँग्रेस ने बाबासाहेब का विरोध करने के लिए पैदा किया था वह सिलसिला आज भी भीमवादी पार्टी यानि बहुजन समाज BSP को रोकने के लिए जारी है।*


*(ब)--जो बाबासाहब का नाम लेकर खुद के लिए 1-2 सीट पाने के लिए दर-दर भटकते है 1971 कि भाँति काँग्रेस-BJP आदि पार्टियों से बाबासाहब का अपमान करने वाले व काँग्रेस/BJP के साथ चन्द पर समझौता करने वाले जो लोग है उन्ही को अम्बेडकरवादी कहते है...परन्तु 1971 के घटिया समझौते का बदला लेते हुए खुद को आगे बढ़ाने के बजाय बाबासाहेब के आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए 1996 में उत्तर प्रदेश कि 425 सीटों में से काँग्रेस को केवल 125 सीटे देकर बाकी सीटो पर बाबासाहेब कि पार्टी अर्थात बहुजन समाज पार्टी BSP को लड़ाने का भीमवादी समझौता करने वाले एकला आदर्शवादी चेला मान्यवर काँशीराम साहब व दलित शेरनी बहन मायावती जी को "भीमवादी" बोलते है।*


*(भ)--1-2 सीट पाने व खुद को M.P/ M.L.A बनाने के लिए 1971 कि भाँति समझौता करने वाले ऐसे अम्बेडकर-वादियों कि वजह से ही बुद्ध के शूद्र जो आज के Muslim Sc St Obc वंचित हजारो कलाकार जाति पेशेवर जाति वाले कामगार-श्रमिक-मजदूर-बहुजन लोगो को गुमराह करके काँग्रेस+BJP कोल्जिएम-सिस्टम वाली अदालत के जजगण के बल पर इस काँग्रेसी EVM देवता यंत्र के सहारे सरकार बनाने में कामयाब हो गई है व धीरे-धीरे संविधान को खत्म करने मे भी सफलता हासिल कर रही है तथा काँग्रेस-BJP को उखाड़ फेंकने कि औकात रखने वाली "भीमवादी दलित शेरनी बहन मायावती कि पार्टी" बहुजन समाज पार्टी/BSP को रोकने में काँग्रेस/BJP सफल होते दिख रही है....*


*(म)--यदि बाबासाहेब का नाम लेने वाले अम्बेडकर-वादी छुट भैये अवसर-वादी निकम्मे नेता-नूती काँग्रेस-BJP से गठबंधन न करे तो और इस EVM के बजाय ''बैलेट-पेपर'' से चुनाव कराने के लिए एक हो जाये तो भीमवादी पार्टी यानि बहुजन समाज पार्टी-BSP पंडित पुजारी कि पार्टी काँग्रेस BJP को उखाड़ फेंकने मे देरी नही करेगी बहन मायावती जी को हराने के लिए यदि काँग्रेस-BJP मिलकर अर्थात आपस मे गठबंधन करके चुनाव भी लड़े तो भी 543-सीट मे 50 सीट जीत लेवे तो बहुत बड़ी बात होगी क्योंकि EVM मे गड़बड़ी करके काँग्रेस-BJP अपनी औकात बचा सकती है परन्तु ''बैलेट-पेपर'' से चुनाव का मतलब भीमवादी दलित शेरनी/BSP कि औकात भीमयुग अर्थात भीमराज-शूद्रराज का उदय होना है।*


*(य)--इसलिए 15/3/2023 को अपने जन्मदिन के मौके पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से देश-दुनियाँ के सामने बहन मायावती जी ने चुनाव आयोग तथा काँग्रेस-BJP को उनकी औकात दिखाते हुए चुनौती देते हुए कहा था कि बैलेट पेपर से चुनाव करो तो बहुजन समाज पार्टी कि औकात दिख जाएगी........बहुजन हसरत पार्टी BHP को पता है और 101% विश्वास है तथा BHP का यह दावा है कि काँग्रेस-BJP-RSS-मोदी-अमित शाह डरपोक है बिना EVM देवता यंत्र जैसे हथियार लिऐ चुनाव लड़ना इनके बस मे नही है जनता मे इनकी कोई औकात नही है ये लोग भीमवादी दलित शेरनी बहन मायावती जी/BSP के नाम से ऐसे थर-थर काँपते है जैसे फिल्म शोले मे गब्बर सिंह नाम के डाकू से बच्चे काँपते थे काँग्रेस-BJP-RSS- में ये डर है कि किसी भी तरह EVM को बचालो नही तो बहन मायावती को प्रधानमंत्री बनने से रोकना मुश्किल ही नही नामुमकिन है इसलिए ये लोग कभी ''बैलेट-पेपर'' से चुनाव नही कराएंगे ऐसा दावा बहुजन हसरत पार्टी BHP का है।*


*(र)--मंडल आयोग लागू न हो इसलिए हिंदुत्व का नारा देते हुए काँग्रेस कि हीरोइन/नायिका इंदिरा गांधी जी ने हिंदू x मुस्लिम नफरत का माहौल बनाने के लिए 1980 में विश्व हिंदू परिषद के "हिंदू एकता यात्रा" को हरी झंडी दी...पवित्र सुवर्ण मंदिर में खून खराबा करवाया तथा सिख भाईयों का कत्लेआम भी करवाया देश कि रक्षा करने वाले सिख भाईयों को खालिस्तानी कहकर आतंक-वादी का लेबल लगवाया धर्म के आधार पर पाकिस्तान न जाकर भारत मे रहने वाले देशभक्त मुस्लिम भाईयों का 1986 UP के मेरठ व 1989 बिहार के भागलपुर में नरसंहार भी करवाया तथा राजीव गाँधी ने बाबरी मस्जिद का ताला तो खुलवाया ही था साथ मे बाबरी-मस्जिद परिसर में मंदिर का शिलान्यास भी करवाया था तथा RSS वाले काँग्रेसी प्रधानमंत्री P.V नरसिम्हा राव/काँग्रेस कि केन्द्र सरकार के सहयोग से BJP के राज्य सरकार ने बाबरी-मस्जिद का कत्लेआम/खून भी किया और कोल्जिएम-सिस्टम द्वारा नियुक्त किये गये जजों ने बिना सबूत के आधार पर सिर्फ आस्था के नाम पर बाबरी-मस्जिद का फैसला भी किया और सबूत होने के बावजूद बाबरी-मस्जिद का खून करने वालों को बा-इज्जत बरी भी किया।*


*नोट:---क्यों काँग्रेस-BJP अन्य पार्टियों के मुकाबले बहुजन समाज पार्टी-BSP से डरती है........क्योंकि अम्बेडकर-वादी पार्टियाँ तो अपने निजी स्वार्थ के लिए 1-2 सीट कि लालच मे घुटने टेकते हुए काँग्रेस-BJP से गठबंधन करके रामराज-मनुराज सरकार बनाने मे काँग्रेस/BJP का पूरा-पूरा सहयोग करते है देश के लोग काँग्रेस/BJP से तंग आकर BSP जैसे भीमवादी पार्टी को सत्ता में लाने के लिए सोंचते है तो काँग्रेस/BJP देश के लोगों के बीच मे BSP कि बजाय अपने इशारे पे चलने वाली पार्टियों को जैसे केजरीवाल-और-ममता बनर्जी आदि को विकल्प के तौर पर पेश कर देते है काँग्रेस-BJP-EVM-कोलजियम के बल पर BSP जैसी भीमवादी पार्टी को सत्ता से दूर रखने के लिए हर समय शाम/दाम/दण्ड/भेद का फार्मूला इस्तेमाल करते चली आ रही है क्योंकि RSS-BJP कि जननी काँग्रेस जानती है कि यदि एक बार भी BSP कि सरकार केन्द्र मे बन गयी तो मौर्य साम्राज्य के भाँति BSP सालों तक शूद्रराज-भीमराज के भँवर मे गोता लगाने लगेगी इसलिए काँग्रेस आपसी नूरा-कुश्ती करने वाले तथा विरोध एक दूसरा का विरोध करने वाले अपने प्यादों/पार्टी कि सरकार बनाती रहती है जैसे मुलायम सिंह यादव कि सरकार बनाती है आदि ऐसे बहुत से जबरजस्त उदाहरण है काँग्रेस BJP को देश लेबल पर कोई पार्टी खतरा पैदा करती है तो काँग्रेस BJP ऐसी पार्टियों कि औकात झारखंड मे C.M मधुकोड़ा कि भाँति महाराष्ट्र C.M उद्धव ठाकरे कि भाँति दफन कर देती है दूसरा उदाहरण जैसे-----*


*(1)--हकीकत-वादी उदाहरण:---मुलायम सिंह यादव-अब अखिलेश यादव कि औकात उत्तर प्रदेश के बाहर कहीं नही है----लालू प्रसाद यादव व नीतीश कुमार कि औकात बिहार के बाहर कहीं नही है---फारुख अब्दुल्ला व महबूबा मुफ्ती कि औकात जम्मू-कश्मीर के बाहर कहीं नही है---सांविधान विरोधी चंद्रशेखर राव- ओवैसी महाराज प्रभु कि औकात तेलंगाना से बाहर कहीं नही है---जगन रेड्डी कि औकात आंध्र प्रदेश के बाहर कहीं नही है---शिवसेना व शरद पवार कि औकात महाराष्ट्र के बाहर कहीं नही है कुमार स्वामी कि औकात कर्नाटक के बाहर कहीं नही है---अमित जोगी कि औकात छत्तीसगढ़ के बाहर कहीं नही है---अकाली दल कि औकात पंजाब के बाहर कहीं नही है---नवीन पटनायक कि औकात उड़ीसा के बाहर कहीं नही है---शिबू सोरेन कि औकात झारखंड के बाहर कहीं नही है---स्टॅलिन DMK कि औकात तमिलनाडु के बाहर कहीं नही है अब कम्युनिस्ट कि औकात केरला के बाहर न के बराबर है--- ममता बनर्जी कि औकात वास्तविक पश्चिम बंगाल के बाहर नही है तथा अरविंद केजरीवाल कि औकात भी वास्तविक दिल्ली में भी नही है तथा यदि ये सभी पार्टियाँ एक साथ मिलकर तीसरा फ्रंट भी बना लेती है तो भी इनमें से कोई भी पार्टी अपने वोट अन्य दूसरे राज्यो में एक-दूसरे को ट्रांसफर नही करवा सकते है...परन्तु-परन्तु-परन्तु देश लेबल पर केवल बहुजन समाज पार्टी BSP ही अपने वोट ट्रांसफर करवा सकती है क्योंकि..........*


*पोल-खोल जहर-वादी उदाहरण:---क्योंकि....काँग्रेस-BJP को पता है कि सम्पूर्ण भारत में दलित-मुस्लिम कि आबादी लगभग 45% से 50% के इर्द-गिर्द व इसके आसपास है और सम्पूर्ण भारत का दलित बहन मायावती जी को अपना नेता मानता है, 36 राज्यो में से लगभ 15-राज्यों में BSP ने जय भीम के नारे से M.P M.L.A चुनकर लाये है 1943 बंगाल कि भाँति तथा 2007 उत्तर प्रदेश कि भाँति मुस्लिम समाज भीमवादी बहन मायावती जी/BSP के साथ जुड़ जाएगा तो BSP के नेतृत्व में दलित+मुस्लिम इस देश मे से हुकूमत करने लगेंगे दलित-मुस्लिम एक न होने पावे तथा दलित-मुस्लिम एकता करके इस भीमराव अम्बेडकर को देश का पहला प्रधानमंत्री न बनाने पावे इसलिए तो देश का बँटवारा हुआ था वही कहानी फिर इधर भी सेम टू सेम है काँग्रेस/BJP भली-भाँति जानती है यदि देश लेबल पर दलित-मुस्लिम एक हो गये और नवाबी-मुद्दे पर इस मायावती को P.M बना दिये तो इस काँग्रेस-BJP का नामो-निशान मिट जायेगा और पंडित पुजारी कि पार्टी काँग्रेस-BJP का सच मे राम नाम सत्य हो जायेगा इसलिए काँग्रेस+BJP देश मे बहुजन समाज पार्टी-BSP के नेतृत्व में तीसरा मोर्चा बनने नही देती है इसके लिए काँग्रेस-BJP अपने षड्यंत्र से अपनी गुलाम पार्टी ममता बनर्जी कि तृणमूल-काँग्रेस अरविंद केजरीवाल कि AAP शरद पवार कि NCP नीतीश कुमार कि JDU स्व०-मुल्ला-मुलायम कि समाप्तवादी-पार्टी/अखिलेश यादव जैसे प्यादों को आगे करके तीसरा मोर्चा बनाने का गेम खेलती है जैसे मंडल आयोग के आंदोलन से कहीं देश का OBC 1943-बंगाल कि भाँति दलितों के साथ मिलकर भीमवादी दलित बब्बर शेर मान्यवर काँशीराम साहब को प्रधानमंत्री न बनाने  पावे इसलिए काँग्रेस-BJP ने बोफर्स मुद्दे को हवा देकर जनता-दल को आगे किया और बाद में उसी जनता-दल के 14-टुकड़े कर दिये जैसे 1947 मे देश के टुकड़े कर दिए थे अफसोस अब जनता-दल का चुनाव निशान चक्र-चक्र-चक्र भी काँग्रेस/BJP ने अंदरूनी साँठगाँठ करके ऐसा गायब कर दिया जैसे गधे के सिर से सींग गायब है टन टना टन टन-------2008-09 में बहन मायावती जी का नाम प्रधानमंत्री के लिए कम्युनिस्ट पार्टी ने देश के पटल पे सामने लाया था तो काँग्रेस ने सम्पूर्ण चुनाव देश मे EVM से करवाकर EVM कि गड़बड़ी से सरकार बनाई और सुप्रीम कोर्ट के आदेश कि धज्जियाँ उड़ाकर 2014 में व 2019 में BJP कि सरकार बनाई और अब 2024 के लिए काँग्रेस-BJP के सामने तीसरे मोर्चे के विकल्प के तौर पर अपने ही प्यादों को मोदी विरोधी छवि के रूप में बताकर रामवादी-मनुवादी नेतागण ममता बनर्जी व अरविंद केजरीवाल को जो काँग्रेस/BJP पेश कर रही है जिसका षड्यंत्र-कारी चाल बहुत ही घटिया और विनाशकारी है काँग्रेस-BJP कि टपोरी चाल बहुत ही घटिया है BSP के अगुवाई मे तीसरे मोर्चे का गठन न होने पावे ऐसा काँग्रेस/BJP-RSS कि अंदरूनी चाल है इसलिए RSS-BJP कि जननी काँग्रेस पार्टी कभी भी भीमवादी दलित शेरनी बहन मायावती जी के नेतृत्व मे तीसरा मोर्चा नही बनने देगी ऐसा दावा बहुजन हसरत पार्टी BHP का नही है बल्कि रामवादी-मनुवादी वाले काँग्रेस/RSS-BJP का है अंतिम क्षण तक BSP/बहन मायावती जी के तत्वाधान मे तीसरा मोर्चा नही बनने पायेगा इस बात का ख्याल बुद्ध के शूद्र जो आज के Muslim Sc St Obc वंचित हजारों कलाकार जाति पेशेवर जाति वाले कामगार-श्रमिक-मजदूर-बहुजन लोगो को हर हाल मे रखना होगा* 


*(ल)--2007 में उत्तर प्रदेश में बहुमत कि सरकार बनाने वाली बहुजन समाज पार्टी ने 2008 दिल्ली विधान सभा व 2009 हरियाणा विधान सभा मे लगभग-14% से 15% वोट पाकर अगले चुनाव में आराम से सत्ता कि दहलीज पार कर सकती थी उत्तर प्रदेश के बाहर बहुजन समाज पार्टी BSP कि सरकार दिल्ली व हरियाणा में बन गई तो आल इंडिया के दलितों के साथ आल इंडिया लेवल पर मुस्लिम समाज यदि BSP मे नवाबी लेने के लिए बहन मायावती जी के साथ जुड़ गया तो हम पंडित पुजारी कि पार्टी काँग्रेस/BJP को भागने का रास्ता नही मिलेगा काँग्रेस-BJP को यह डर सताने लगा इसलिए लोकपाल-बिल को कंधा बनाकर अन्ना हजारे जैसे ढोंगी समाज सेवक का इस्तेमाल करके EVM देवता यंत्र के बल पर बिना बूथ गठित वाले मानो अपाहिज संगठन वाले अरविंद केजरीवाल कि सत्ता दिल्ली में बनाकर काँग्रेस-BJP ने अंदरूनी खेल खेलकर अपने राजनैतिक हथियार काँग्रेसी EVM देवता यंत्र के उलटफेर मे BSP के फैले साम्राज्य को तहस-नहस-बर्बाद-खत्म कर दिया गया।*


*(व)--देश मे हिंदू x मुस्लिम नफरत फैलाने के लिए 1949 में बाबरी मस्जिद में काँग्रेस द्वारा चोरी से रखी गई राम लल्ला कि मूर्ती को कंधा बनाकर मंदिर वही बनायेंगे के आंदोलन को अंतिम रूप देने के लिए काँग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के 8/10/2013 के आदेश कि धज्जियाँ उड़ाकर बिना VVPAT लगाए EVM में गड़बड़ी करके खत्म हो रही अपनी B टीम BJP कि बहुमत सरकार बनाकर कोल्जिएम-सिस्टम से आये हुए जजो के माध्यम से बिना सबूतों के मंदिर के पक्ष फैसला देकर दुनियाँ के सामने देश के न्यायपालिका व न्याय-व्यवस्था कि धज्जियाँ उड़ाई-----तथा-----2008-09 में भीमवादी दलित शेरनी बहन मायावती जी को अपने 60 साँसदों के सहयोग से प्रधानमंत्री बनाने का इनिशेटिव लेने वाली कम्युनिस्ट पार्टी को EVM के बल पर खत्म करके पश्चिम बंगाल में अपनी प्यादी ममता बनर्जी कि सरकार काँग्रेस/BJP ने अंदरूनी साँठगाँठ वाली हेराफेरी से बनाई ताकि जब भी भीमवादी दलित शेरनी बहन मायावती जी/BSP सत्ता बनाने के लिए केंद्र मे आगे बढ़े तो केजरीवाल--और--ममता बनर्जी को तीसरे फ्रंट का नेता बनाकर BSP को लड़ाई से दूर बताकर भीमराज-शूद्रराज पर आराम से बुलडोजर चलाकर खुद पक्ष-विपक्ष कि भूमिका अदा करते रहे ठीक उसी तरह आज हो भी रहा है काँग्रेस-BJP अपने इस राजनैतिक हथियार EVM-कोलजियम का इस्तेमाल करके देश को ऐसा बताने मे सफल हो रहे है कि देश मे सिर्फ काँग्रेस/BJP ही एक दूसरे का प्रति-द्वंदी है गजब आपसी नूरा-कुश्ती का खेल खेलकर काँग्रेस/BJP रामराज-मनुराज सरकार बनाने मे कामयाब दिख रहे है*


*(श)--इसी कड़ी में अखिलेश यादव ममता बनर्जी को उत्तर प्रदेश में घुमा रहे है ठीक उसी तरह जैसे जिन्ना कि मुस्लिम लीग को कोई कुत्ता भी नही पूँछता था और सीट पर सीट जीत जा रहा था क्या वही पुरानी दास्ताँ/कहानी ममता बनर्जी और अखिलेश यादव दोहरा तो नही रहे है तथा जटाधारी-फेकूचन्द मोदी महराज कि फर्जी डिग्री का मुद्दा उठाकर कोल्जिएम-सिस्टम से आये हुए गुजरात हाई कोर्ट के जज ने केजरीवाल पर दंड लगाकर शायद मोदी जी के कहने पर केजरीवाल को देश लेवल पर मोदी विरोधी पेश करना चाहते  है ताकि मोदी के खिलाफ यदि तीसरे मोर्चे का आगाज होता भी है तो तीसरे मोर्चे का आगाज बहन मायावती जी के नेतृत्व मे बनने न पावे यके सारा ड्रामा इसलिए चालू है।*


*(ष)--ये केजरीवाल काँग्रेस/BJP के खिलाफ वाला दूसरा तीसरा कोई नही है बल्कि ये तो RSS का छोटा रिचार्ज है जिसका सबूत ये है कि मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी जी ने अपने भाषण में तथा काँग्रेस के भूतपूर्व साँसद राजीव शुक्ला जी के साथ एक इंटरव्यू में मोदी जी ने कहा था कि मेरी पढ़ाई सिर्फ इंटर तक ही हुई है तो फिर अमित शाह ने--2016 में मोदी जी कि जो डिग्री प्रेस कांफ्रेंस में दिखाई थी तो 2019 के चुनाव में M.A तक पढ़ाई कैसे हुई है ऐसा एफिडेविट वाले मोदी जी कि सदस्यता भंग करने के लिए चुनाव आयोग व कोर्ट में काँग्रेस और केजरीवाल ने माननीय अदालत में अभी तक कोई याचिका क्यों नही लगाई तर्क करो...क्या अब षड्यंत्र के तहत केजरीवाल को तीसरे फ्रंट का नेता बनाने के लिए काँग्रेस-BJP आपस मे अंदरूनी साँठगाँठ वाली नूरा-कुश्ती करके आपसी मिली-भगत है चालू किये है।*


*(स)--मैं इंजीनियर हूँ मुझे पता है EVM में कैसे गड़बड़ी होती है तथा दिल्ली विधान सभा मे EVM मशीन कि प्रतिकृति बनाकर/EVM का पुतला बनाकर EVM कि गड़बड़ी का डेमो दिखाकर EVM और मोदी का विरोधी होने का का ढोंग करके EVM को बचाने के लिए तथा BSP के नेतृत्व में तीसरा मोर्चा न बनने पावे इसलिए केजरीवाल ताथा-थइया करता फिरता है इसलिए तो ये आरक्षण विरोधी केजरीवाल दिल्ली विधान सभा कि 70-सीट में से 2013 में 27----2015 में 67 व 2020 में 62 सीटे जीतकर घोर बहुमत पाने के बावजूद 2014 व 2019 के लोकसभा दिल्ली में 1-भी सीट नही जीत पाया और चुनाव आयोग से रिकॉउंटिंग कि माँग नहीं किया है और EVM के बजाय ''बैलेट-पेपर'' से चुनाव कराने के लिए याचिका दाखिल कैसे करता है इस पर तर्क होना चाहिए मगर अफसोस उल्टा-2020 का विधान सभा चुनाव जीतने के बाद आज तक पर EVM में गड़बड़ी के बारे में सवाल पूंछने पर AAP का साँसद संजय सिंह कहता है कि हमारी आपत्ति EVM में गड़बड़ी होती है इसके लिए नही है हमारी आपत्ति चुनाव के तरीके पर है जिससे साफ हो जाता है कि "दलित+मुस्लिम" BSP में जाने से रोकने के लिए तथा BSP के नेतृत्व में तीसरा मोर्चा न बने इसलिए जनता-दल कि भाँति केजरीवाल को पैदा किया गया है।*


*(ह)--जिस पश्चिम बंगाल में 1943 में दलित+मुस्लिम कि सरकार बनी थी देश के बँटवारे के बाद भी उस शेष पश्चिम बंगाल में आज भी दलित+मुस्लिम कि आबादी लगभग 50% के इर्द-गिर्द है इतनी आबादी होने के बावजूद आजादी के बाद से एक भी दलित या मुस्लिम पश्चिम बंगाल का CM नही बना या नही बनने दिया गया या नही बनाया परन्तु 2008-09 कि भाँति बहन मायावती जी को भविष्य में कभी प्रधानमंत्री बनने के लिए कोई भी समर्थन न देवे या कोई समर्थन न देने पावे इसलिए 35-साल तक पश्चिम बंगाल में सरकार चलाने वाली कम्युनिस्ट पार्टी को काँग्रेस ने EVM में गड़बड़ी करके समाप्त करते हुए अपनी C टीम तृणमूल काँग्रेस-ममता बनर्जी कि बहुमत कि सरकार 2011 में, 2016 व 2021 में बनाई आज पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्ट पार्टी कि 1-भी सीट  नही है बावजूद इसके कम्युनिस्ट पार्टी EVM के खिलाफ आंदोलन क्यों नही करती है और आन्दोलन क्यों नही छेड़ती है जो समझ के बाहर है।*


*(क्ष)--काँग्रेस-BJP-ममता बनर्जी-केजरीवाल सब एक ही है इसका दूसरा सबूत ये है कि EVM कि गड़बड़ी छुपाने के लिए 2014 के चुनाव में BJP ने प्रशांत किशोर नाम के ढोंग को मीडिया के माध्यम से रणनीति-कार के तौर पर महिमा मंडित करके ऐसा हवा बनाया ताकि EVM से कितनी सीटे जितनी है ये तय करने के बाद वैसा ही आंकड़ा प्रशांत किशोर के मुँह बुलवाकर EVM पर कोई शक न करे और आराम से पक्ष-विपक्ष का यह राजनैतिक हथियार EVM शक के घेरे से बाहर चले जावे RSS-BJP कि जननी काँग्रेस पार्टी द्वारा EVM को मैनेज करने के लिए पैदा किया गया है, ये गांधी वादी-मनुवादी प्रशांत किशोर कभी भी EVM के खिलाफ बात नही करता उल्टा EVM में गड़बड़ी करके काँग्रेस-BJP कि बनी सरकार पर कोई आंच न आवे इसलिए EVM में से किया हुआ आंकड़ा रणनीति के ढोंग के तहत पेश करता है। इस प्रशांत किशोर ने काँग्रेस के लिए भी काम किया था तथा बाबू नितीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड में पद भी ग्रहण किया था तथा 2-बार पूर्ण बहुमत कि सरकार बनाने वाली ममता बनर्जी भी समाजवादी पार्टी के भाँति BJP को बंगाल में बढ़ाने के लिए ममता बनर्जी ने BJP के प्रशांत किशोर को चुनाव प्रबंध/सलाहकार के रूप में लिया और जिस BJP को पश्चिम बंगाल में कुत्ता भी नहीं पूँछता था वहां BJP के 18 साँसद व 77 विधायक है कैसे बन गये यह आज अपने मे एक सवाल बनकर रह गया है जनता-जनार्दन को क्या प्रशांत किशोर व ममता बनर्जी से पूंछना चाहिए कि इस जहरीली काँग्रेसी EVM देवता यंत्र मशीन से सवाल पूंछना....चाहिए।*


*(त्र)--EVM के प्रति लोगो के रोष-गुस्से को देखते हुए लोगो कि भावना कि कद्र करते हुए महाराष्ट्र विधान सभा के तत्कालीन अध्यक्ष माननीय नाना पटोले साहब ने 6/2/22 जैसे ही लोगो को महाराष्ट्र विधान सभा मे EVM के साथ बैलेट-पेपर से भी चुनाव कराने का विकल्प देने वाले कानून को उद्धव ठाकरे साहब कि सरकार के कैबिनेट में पास करवाया तो EVM को बचाने के लिए काँग्रेस ने आनन-फानन में माननीय नाना पटोले साहब को विधान सभा पद से ऐसे हटा दिया जैसे दूध मे पड़ी मक्खी को लोग हटाकर फेंक देते है तथा उद्धव ठाकरे साहब कही बैलेट-पेपर से चुनाव कराने का कानून पास कर देवे इसलिए काँग्रेस ने महाराष्ट्र विधान परिषद के चुनाव में शिवसेना को वोट करने के बजाय BJP के पक्ष में वोट करवाये तथा काँग्रेस के इशारे से ही BJP ने शिवसेना के विधायक तोड़कर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया है----यदि ममता बनर्जी तथा अरविंद केजरीवाल सही में BJP-मोदी विरोधी है तो बहुजन हसरत पार्टी BHP इन सभी से देशहित-जनहित मे नत-मस्तक होकर निवेदन करती है कि EVM और BJP का विरोध करने का ढोंग करने वाले तथा बहुमत कि सरकार चलाने वाली ममता बनर्जी साहिबा अपने राज्य पश्चिम बंगाल में तथा बहुमत कि सरकार चलाने वाले अरविंद केजरीवाल अपने राज्य दिल्ली व पंजाब में नाना पटोले साहब कि भाँति अपने राज्य के लोगो को EVM के साथ-साथ बैलेट पेपर से भी चुनाव करने का कानून बनावे या या या दलित-मुस्लिम के सामने BJP विरोधी होने का नाटक बंद करे---तथा---प्रशांत किशोर कि भाँति ही EVM में गड़बड़ी करके मन मुताबिक चुनाव जीतने के बाद लोग EVM पर शक न करे इसलिए अपने गृह राज्य तेलंगाना व आंध्र प्रदेश में 10 सीट भी न लड़ने वाला ये औवेसी महाराज प्रभु को देश भर में घुमाकर गेम पर गेम खेला जा रहा है ओवैसी महाराज प्रभु कि सभाए गोदी मीडिया दिखाकर हिन्दू X मुस्लिम नफरत का माहौल बनाकर EVM में गड़बड़ी करके जब BJP चुनाव जीतती है तो BJP द्वारा चुनाव जीतने के बाद ओवैसी महाराज प्रभु सहित कोई EVM पर सवाल क्यों न उठाता है देश कि आन-बान-शान व न्याय-व्यवस्था पर सवाल पे सवाल करती है......तथा जिस BSP के बल पर चंद्रशेखर राव आंध्र प्रदेश में से तेलंगाना राज्य अलग कर सका उस तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव अब BJP का प्यादा बन गया है जो अब संविधान बदलने कि बात कर रहा है और तो और BJP विरोधी होने का ढोंग भी कर रहा है परंतु EVM के खिलाफ एक शब्द नही बोलता है, यदि चंद्रशेखर राव BJP का विरोधक है तो अपने शाषित राज्य तेलंगाना में नाना पटोले साहब कि भाँति अपने सूबे के लोगो को EVM के साथ-साथ बैलेट पेपर से भी चुनाव कराने का कानून बनावे....आश्चर्य है कि जैसे ही तेलंगाना में BSP का तूफान आया तो उससे घबराकर अब ये संविधान विरोधी चंद्रशेखर राव तेलंगाना में 125 फुट ऊंची बाबासाहेब जी कि मूर्ति लगवा रहा है... उसी भाँति अखिलेश यादव भी मुस्लिम समाज का वोट पूरी तरह से BSP में जाते देख जलन-वश घबराकर-बौखलाहट में दलितों को गुमराह करने के लिए मान्यवर कांशीराम साहब के पुतले का अनावरण करके उल्टा अपने पैरों पर खुद ही कुल्हाड़ी मारते हुए 1943 भाँति BSP के तत्वधान में दलित+मुस्लिम को और को होशियार करके मानो मजबूत/इकठ्ठा कर लिया।*


*(ज्ञ)--2014 में DMK-स्टॅलिन कि पार्टी एक भी सीट नही जीत पाई थी, जो हर समय द्रविड़-शूद्रों के हितों कि बात करती है, EWS के आरक्षण को भी राज्य में लागू करने से मना करती है मेडिकल में द्रविड़-शूद्रों के आरक्षण पर बात करती है, SC ST OBC भी मंदिरों में पंडित-पुजारी बने इसके लिए कानून भी बनाती है परन्तु-परन्तु-परन्तु जब मार्च 2023 में EVM हटाने के लिए शायद/यकीनन वामन मेश्राम साहब EVM विरोधी यात्रा कन्याकुमारी से निकलना चाह रहे थे तो जिसे स्टॅलिन-DMK ने परमिशन न देकर EVM को बचा लिया, EVM तोड़ने के संबंध में 2017 कि भाँति वामन मेश्राम साहब कि यह यात्रा भी कही संदिग्ध तो नही थी इसलिए वामन मेश्राम साहब व स्टॅलिन साहब इस पर से पर्दा हटाओ यह समय कि माँग है वरना MUSLIM SC ST OBC कलाकार जाति पेशेवर जाति वाले द्रविड़-शूद-कामगार-श्रमिक-मजदूर-बहुजन लोग आप दोनों को कभी माफ नही करेंगे।*


*टना टन उदाहरण:--संकट मोचक बनकर बार-बार RJD/वाले लालू प्रसाद यादव साहब जी ने काँग्रेस को बचाते ही चले आ रहे थे काँग्रेस को बचाने के बावजूद RJD-लालू प्रसाद जी को 6-8 साल तक चुनाव लड़ने से रोकने के लिए अपील में जाने का प्रावधान नही है---ऐसे मे 2 साल कि सजा पाने वाले साँसद कि सदस्यता खत्म करने वाले कानून में सुप्रीम कोर्ट तक अपील में जाने का प्रावधान लाये जा रहे अध्यादेश को राहुल गाँधी ने फाड़ा था जिसका शिकार अब खुद राहुल गाँधी ही हो गए है...आज 99% लोगो को ऐसा लग रहा है कि राहुल गाँधी के साथ अन्याय हुआ है मगर इसके पीछे नाटकीय खेल सिर्फ EVM-कोल्जिएम-सिस्टम के खिलाफ बन रही और उठ रही आवाज को दबाने और दफन करने के लिए RSS-BJP कि जननी काँग्रेस पार्टी आदि सभी ने गेम प्लान के तहत खेला है----लालू प्रसाद यादव जी ने कुछ अच्छे काम मंडल-आयोग के तहत किए है इसलिए बहुजन हसरत पार्टी BHP इस RJD-लालू प्रसाद जी पर टिप्पणी नही करना चाहती है----RJD-लालू प्रसाद जी-तेजस्वी यादव को लोग BJP-मोदी विरोधी के नाम से जानते है परन्तु पल में BJP---पल में RJD में पलटी मारकर----नीतीश कुमार अपने आपको अधिक चालाक न समझे आज मुख्यमंत्री बनने के पीछे अपनी विश्वसनीयता खोते हुए नितीश बाबू को लोग अब सुशासन बाबू के नाम से नही तो पलटी मारने वाले-पलटू-राम बहुरूपिया और जबरजस्त ढोंगी नेता के नाम से लोग आज नीतीश कुमार साहब को जानने लगें है............यदि नीतीश बाबू व RJD-तेजस्वी यादव दोनों सच मे और हकीकत मे BJP-मोदी विरोधी है तो जिस तरह बिहार विधानसभा मे OBC जनगणना हेतु कानून पास किये है ठीक उसी भाँति संविधान और लोकतंत्र को खत्म करने वाले इस काँग्रेसी EVM देवता यंत्र मशीन को उखाड़ फेंकने के लिए लालू प्रसाद जी के बेटे बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव व C.M नीतीश बाबू अपने राज्य में नाना पटोले साहब के भाँति EVM के साथ ''बैलेट-पेपर'' से चुनाव कराने कानून क्यों पास नही करते है..........नीतीश बाबू के भाँति  हर समय बार-बार पलटी मारकर केंद्र कि काँग्रेस-BJP सरकारों में मंत्री बनने वाले दलित उद्धारक के नाम से घटिया ढोंग फैलाने वाले तथा दलितों के रहनुमा-मसीहा-रहबर के नाम को कलंकित करने वाले स्वर्गीय श्री रामविलास पासवान साहब जी ने दलितों का तो छोड़ो अपने बेटे चिराग पासवान का भी भला नहीं किया उल्टा चिराग पासवान कि राजनीति ही उनके सगे पिता राम विलास पासवान साहब ने ऐसा खत्म कर दिया मानो जैसे कोई मानवता का कत्लेआम कर दिया हो यदि यदि यदि श्री रामविलास पासवान साहब जी ने मरने के पहले अकाली दल कि नेता माननीय श्रीमती हसिमरत कौर जी के भाँति तीन किसान विरोधी कानून के खिलाफ मंत्री पद से इस्तीफा दिया होता तो आज काबिल चिराग पासवान साहब बिहार के बहुमत से ज्यादा सीट जीतने वाले देश के सबसे अच्छे नौजवान मुख्यमंत्री होते परन्तु RSS-BJP कि जननी काँग्रेस पार्टी जानती थी कि यदि अकाली दल के नेता/मंत्री कि भाँति ये हमारा चमचा/गुलाम/प्यादा राम विलास पासवान यदि किसान-बिल कानून के खिलाफ मंत्री पद से इस्तीफा देकर चला गया तो हो सकता है बहुत से लोग अकाली-दल और राम विलास पासवान कि राह पे चल दिए तो BJP सरकार का पतन निश्चित है।* 


*नाजुक उदाहरण समझो या खतरनाक उदाहरण समझो:----काँग्रेस ही BJP-RSS कि जननी है इसलिए तो जब 2007 में BSP कि पूर्ण बहुमत कि सरकार बनी तथा 8 राज्यो में BSP कि सरकार बनने के कगार पर थी तथा परमाणु डील मुद्दे पर भीमवादी दलित शेरनी बहन मायावती जी का नाम प्रधानमंत्री के लिए देश के पटल पर आया तो काँग्रेस ने 2009 में EVM में गड़बड़ी करके चुनाव जीता परंतु BJP के लालकृष्ण अड़वानीने EVM पर सवाल उठाया तो काँग्रेस-BJP ने EVM को बचाने के लिए 10-10 साल सत्ता का सुख भोगने के समझौता किया------इस समझौते के तहत ही काँग्रेस ने मीडिया के माध्यम से राहुल गाँधी को पप्पू दिखाकर व  मोदी-गुजरात कि हवा बनाकर पेश किया तथा EVM पर शक न हो इसलिए प्रशांत किशोर को रणनीति-कार-मैनेजमेंट के लिए लाया गया तथा लोकपाल बिल के नाम पर केजरीवाल को पेश किया और 8/10/2013 सुप्रीम कोर्ट के आदेश कि धज्जियाँ उड़ाकर बिना VVPAT लगाये इस EVM से चुनाव कराकर EVM में गड़बड़ी करके काँग्रेस ने BJP-RSS कि सरकार बनाकर अनपढ़ जटाधारी-फेकूचन्द मोदी को P.M.बनाया------इसलिए तो अधिकृत विपक्ष (54 सीटे) भूमिका भी अदा न करनी पड़े इसलिए काँग्रेस ने इसलिए काँग्रेस ने 2014 में 44 सीट व 2019 में 52 सीट यानी विपक्ष कि औकात से कम सीटे ही ली और तो और नवंबर 2018 में मध्य प्रदेश-राजस्थान-छत्तीसगढ़ इन तीनो राज्यो में बहुमत कि सरकार बनाने वाली काँग्रेस को 4 महीने बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में 29 में 1 सीट, राजस्थान में 25 में से 0 सीट तथा छत्तीसगढ़ में 11 में से 2 सीट मिलने के बावजूद काँग्रेस EVM के खिलाफ आंदोलन नही करती है....*


*(ज्ञ-1)--"जैसे तोते कि जान पिंजरे में होती है वैसे ही RSS-BJP कि जननी काँग्रेस कि जान EVM देवता यंत्र में है जिस दिन EVM बंद होकर ''बैलेट-पेपर'' कि तरह करवट बदल दिया और ''बैलेट-पेपर'' से चुनाव का बिगुल बज गया उस दिन काँग्रेस-BJP और उसकी तमाम C-टीम ममता बनर्जी D-टीम अरविंद केजरीवाल आदि पंडित पुजारी कि सारी पार्टियाँ एक साथ मिलकर भी चुनाव लड़ें तो भी मुश्किल से 20/25 सीट जीत जावे तो बहुत बड़ी बात होगी अब संसद मे इस काँग्रेसी EVM देवता यंत्र को बंद करने के खिलाफ कानून कौन बनायेगा तथा कोलजियम-सिस्टम वाली अदालत इस काँग्रेसी EVM देवता यंत्र को बंद करने का आदेश नही देगी तो फिर यह काँग्रेसी EVM देवता यंत्र कैसे बंद होगा और फिर इस कोल्जिएम-सिस्टम को कौन रद्द करेगा कोलजियम-सिस्टम को रद्द करके हाईकोर्ट और सुप्रीम-कोर्ट के जजगण कि नियुक्ति-चयन फिर परीक्षा द्वारा कैसे हो सकती है इसका एक ही रास्ता है---अधिवक्ता-आयोग---?---इसलिए यदि ''अधिवक्ता-आयोग'' का गठन या उदय हो जावे तो कोलजियम-सिस्टम को ''अधिवक्ता-आयोग'' के माध्यम से दफन किया जा सकता है इसी ''अधिवक्ता-आयोग'' के जरिए हाईकोर्ट और सुप्रीम-कोर्ट के जजगण कि नियुक्ति-चयन का दौर चालू किया जा सकता है*


*नोट : जनता तथा विरोधी दल के विरोध-दबाव के आगे झुकते हुए लोगो कि भावना की व लोकतंत्र कि कद्र करते हुए अब बांग्लादेश कि शेख हसीना जी कि सरकार ने अप्रैल 2023 में बांग्लादेश ने EVM से चुनाव न कराने का फैसला लेते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराने का फैसला किया है जो काबिले तारीफ है जिसके लिए बहुजन हसरत पार्टी BHP बांग्लादेश कि प्रधानमंत्री शेख हसीना साहिबा को नत-मस्तक होकर सलाम करती है .....परंतु जब 11 मार्च 2017 को भीमवादी दलित शेरनी बहन मायावती जी ने इस काँग्रेस के EVM देवता के खिलाफ जंग का ऐलान किया था तथा उनके जन्मदिन 15/1/2023 को भी बैलेट-पेपर से BSP कि औकात देखने का चैलेंज किया था....तो तो तो BJP के विरोध का दावा करने वाले/ढोंग करने वाले राहुल गाँधी - अखिलेश यादव लालू प्रसाद यादव व नीतीश कुमार - फारुख अब्दुल्ला- महबूबा मुफ्ती - संविधान विरोधी चंद्रशेखर राव--जगन रेड्डी--ओवैसी--शिवसेना--शरद पवार--कुमार स्वामी--अमित जोगी--अकाली दल--नवीन पटनायक कि--हेमंत सोरेन--- EVM विरोधी यात्रा को रोकने वाला स्टॅलिन DMK--कम्युनिस्ट पार्टी--ममता बनर्जी--अरविंद केजरीवाल आदि छुट भैये अम्बेडकर-वादियों ने साथ नही दिया इससे साबित होता है कि यह नेता किसी लालच में या दबाव में EVM के खिलाफ जंग नही चाहते है बल्कि लोगों को गुमराह करने के लिए दिखावे के तौर पर BJP-मोदी का विरोध करते है यदि ये लोग बहन मायावती जी का साथ दिए होते तो भारत मे भी कब से EVM बंद होकर ''बैलेट-पेपर'' से चुनाव शुरू हो जाता ऐसा बहुजन हसरत पार्टी BHP का दावा है......यदि बहुजन हसरत पार्टी BHP का ये दावा झूठा है तो राहुल गाँधी--अखिलेश यादव--लालू प्रसाद यादव--नीतीश कुमार--फारुख अब्दुल्ला--महबूबा मुफ्ती--चंद्रशेखर राव--जगन रेड्डी--ओवैसी--शिवसेना--शरद पवार--कुमार स्वामी--अमित जोगी--अकाली दल--नवीन पटनायक--हेमंत सोरेन--स्टॅलिन DMK--कम्युनिस्ट पार्टी--ममता बनर्जी--अरविंद केजरीवाल आदि नेता गण देशहित-जनहित में नाना पटोले साहब कि भाँति जिस किसी राज्य में इन नेताओं कि पार्टियों कि सरकार है वह सब अपने-अपने राज्य मे नाना पटोले साहब कि भाँति EVM मशीन के साथ-साथ ''बैलेट-पेपर'' से चुनाव कराने का कानून क्यों पास नही कर रहे है क्या अब अन्यथा ऐसा माना जायेगा कि ये पार्टियाँ ही चाहती है कि BJP कि सरकार 2024 में पुनःह बने---इसलिए बुद्ध के शूद्र आज के MUSLIM SC ST OBC वंचित हजारों कलाकार जाति पेशेवर जाति वाले कामगार-श्रमिक-मजदूर-बहुजन लोग इस देश से काँग्रेस-BJP को उखाड़ फेंकने के लिए ये नारा का आगाज कर दिये है कि....* 


*-बुद्ध के शूद्रों ने ये दिल मे ठाना है...*


*बहन मायावती जी को P.M/प्रधानमंत्री बनाना है.....*


*दलित-मुस्लिम साथ चलेगा OBC अब राज करेगा....*


*लिखने में कोई गलती हुई हो तो कृपया देशहित-जनहित में क्षमा कीजिए*


*मुहम्मद मैराज शेख*

*संस्थापक-राष्ट्रीय-अध्यक्ष : बहुजन हसरत पार्टी-BHP*


*11/04/2023--9819316944*




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