एक बार दिल्ली के रामलीला मैदान में मुसलमानों की बहुत बड़ी रैली थी उस रैली में मैं भी कवरेज करने के लिए गया था, मैंने रैली में आए हुए कई लोगों से बातचीत की लोगों ने एक ही सवाल पूछा आप कवरेज करके ले जा रहे हैं क्या दिखाओगे भी ?और यह सवाल बार-बार पूछा गया। अगले दिन के राष्ट्रीय और राज्य स्तर के समाचार पत्रों में लाखों लोगों की भीड़ की खबर नदारद थी। यह बात में इसलिए बता रहा हूं कि जो लोग कहते हैं कि मीडिया निष्पक्ष नहीं है तो मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि यह निष्पक्षता का अभाव आज ही पैदा नहीं हो गया है यह तो वर्षों से चला आ रहा है ।पहले विशेष समुदाय के लिए मीडिया निष्पक्ष नहीं थी। और पहले यह खेल छुपकर खेला जाता था अब खुलकर खेला जाता है। अब एक बात हमेशा आप लोगों को गांठ बांध लेनी चाहिए ,भारत के संविधान ने जो अधिकार दिए हैं जब उन अधिकारों से वंचित किया जाने लगे तो समझो हमारा लोकतंत्र स्वस्थ नहीं, बीमार है। शोषित और वंचित समाज को अधिकार दिलाने कोई मसीहा अब नहीं आने वाला। अपने अधिकार स्वयं संगठित होकर ही हासिल करने होंगे। राष्ट्रीय मीडिया अनदेखी करें, राज्य मीडिया अनदेखी करें, समाचार पत्र आप की खबर ना छापे, आपके साथ ज्यादती हो, आप का शोषण हो, आपको अधिकार ना मिले, तो घबराना नहीं, बाबा साहब ने संविधान के जरिए आपको बहुत बड़ी ताकत दी है। उस ताकत का इस्तेमाल करें ,आज सोशल मीडिया से बहुत सारे शोषण और अत्याचार की खबरें आप तक पहुंचाई जाती है। जो लोग आपके अधिकारों की बात करते हैं आप उनकी हौसला अफजाई जरूर करिए । कल तक जो आपके साथ होता था आज खामोश तमाशाईयो के साथ भी होने लगा है। इसलिए खामोश तमाशाई बनना छोड़िए !वरना आप भी उन्हीं लोगों की लाइन में खड़े होंगे।
प्रस्तुति एस ए बेताब संपादक "बेताब समाचार एक्सप्रेस" हिंदी मासिक पत्रिका एवं यूट्यूब चैनल
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