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अजरबैजान में मना आर्मीनिया पर जीत का जश्न, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान भी हुए शरीक


Nagorno-Karabakh: अजरबैजान में मना आर्मीनिया पर जीत का जश्न, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान भी हुए शरीक Shatakshi Asthana | एपी | Updated: 10 Dec 2020, 07:58:00 PM Nagorno Karabakh Conflict: नागोर्नो-काराबाख में जारी संघर्ष को लेकर आर्मीनिया के साथ हुए शांति समझौते पर अजरबैजान ने जश्न मनाया है। देश में आयोजित परेड में तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान भी पहुंचे। बाकू एक महीने से ज्यादा वक्त तक चले संघर्ष में 5000 से ज्यादा लोगों की जाने के बाद नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र में आर्मीनिया पर जीत का जश्न अजरबैजान में शानदार तरीके से मनाया गया। खास बात यह रही कि इसमें अजरबैजान के करीबी दोस्त तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान भी पहुंचे। उनकी मौजूदगी में देश की सेना ने परेड का आयोजन किया जिसमें उसने अपने और आर्मीनिया से जब्त किए हथियार पेश किए। दोनों देशों के बीच संघर्ष के बाद आर्मीनिया के साथ शांति समझौता किया गया था। अजरबैजान के राष्ट्रपति अलियेव के साथ परेड में शामिल एर्दोगान अजरबैजान के राष्ट्रपति अलियेव के साथ परेड में शामिल एर्दोगान अजरबैजान के हिस्से बड़ा क्षेत्र शांति समझौते के तहत विवादित क्षेत्र का ज्यादातर हिस्सा अजरबैजान के हिस्से आया है। करीब 6 हफ्ते तक चले संघर्ष के बाद करीब एक महीने पहले दोनों देशों के बीच समझौता हुआ था। इसे अजरबैजान में जीत की तरह देखा गया लेकिन आर्मीनिया में भारी विरोध प्रदर्शन हुआ। लोगों ने स्थिति से निपटने को लेकर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग की। दरअसल, नागोर्नो-काराबाख का क्षेत्र अजरबैजान में आता है लेकिन साल 1994 में अलगाववादी जंग के बाद से यह आर्मीनियाई समर्थित खेमे के पास था। तुर्की ने किया अजरबैजान का समर्थन गुरुवार को हुई परेड में 3000 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें एर्गोदान की मौजूदगी ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। एर्दोगान ने लगातार अजरबैजान का समर्थन किया है। माना जाता है कि इसकी मदद से ही तुर्की क्षेत्र में अपनी ताकत बनाए रखना चाहता है। यहां तक कि परेड में तुर्की की कमांडो ब्रिगेड ने भी हिस्सा लिया और तुर्की के ड्रोन भी डिस्प्ले किए गए। अजरबैजान के राष्ट्रपति इलिहम अलियेव ने तुर्की को धन्यवाद भी दिया। एर्दोगान का तंज, 'आर्मीनिया लेगा सबक' अलियेव ने आर्मीनिया पर लड़ाई शुरू करने का आरोप लगाया। एर्दोगान ने भी अपने भाषण में आर्मीनिया पर निशाना साधा और उम्मीद जताई कि यरवन अपनी हार से सबक लेगा और क्षेत्र में एक नए युग की तैयारी के लिए कदम उठाएं। उन्होंने अजरबैजान को समर्थन जारी रखने की बात भी दोहराई। गौरतलब है कि संघर्ष के दौरान इस बात के आरोप लगते रहे कि तुर्की ने अजरबैजान की मदद के लिए सीरिया से आतंकी भेजे हैं। दोनों देशों ने इन आरोपों का खंडन किया। रूस ने कराया दोनों देशों में समझौता आपको बता दें कि सितंबर के आखिर में शुरू हुए संघर्ष में दोनों ओर 44 दिनों में कुल 5,600 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। अजरबैजान की सेना नागोर्नो-काराबाख के अंदर दाखिल हो गई जिसके बाद आर्मीनिया को शांति समझौता स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसमें ज्यादातर क्षेत्र अजरबैजान के हिस्से में चला गया। पिछले महीने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ऐलान किया था कि रूस के हस्तक्षेप से आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच शांति पर सहमति बन गई है। पुतिन ने यह भी कहा है कि युद्धग्रस्त क्षेत्र नागोर्नो-काराबाख में शांति व्यवस्था को बनाए रखने के लिए रूसी शांतिरक्षक बलों को इस इलाके में तैनात किया जाएगा। साभार: navbharattimes

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