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"दे दे प्यार दे!"

 

दे दे प्यार दे !"

                        अब इस वक्त जब कि दिन के ग्यारह बज रहे हैं , मै पूरी निर्भीकता से रजाई ओढ़ कर लेटा हूं ! बगल वाले घर की बाल्कनी से अंदर चल रही टीवी की आवाज़ सुनाई पड़ रही है ,  - दे दे प्यार दे प्यार दे प्यार दे दे ! मुझे प्यार दे- !! ऐसा लगता है गोया आशिक अपना गिरवी माल छुड़ाने आया हो ! पहले इजहारे इश्क का भी एक सलीका हुआ करता था,  ' तेरे प्यार का आसरा चाहता हूं -'  कोरोना ने कैरेक्टर पर कितना घातक असर डाला है, प्रेमी रिक्वेस्ट करने की जगह राहजनी पर उतारू है,  ' दे दे प्यार दे ! प्यार दे प्यार दे दे - मुझे प्यार दे ' ! (जितना है सब निकाल दे !) इसे कहते हैं दिनदहाड़े इश्क की तहबाजारी ! प्यार और व्यापार के बीच की दूरी सिमट रही है !
        टीवी बंद हो चुकी है, मगर आवाज़ अभी भी सुनाई पड़ रही है, - दे दे प्यार दे-! अब उस घर का युवा भविष्य इजहारे इश्क के लिए बाल्कनी में खड़ा है !  मै हैरान था , दुनियां कोरोना की वैक्सीन मांग रही है और वो प्यार की डिलीवरी का इंतज़ार कर रहा था ! लौंडे पर लैला मजनू का बसंत देख मैं सोचने लगा,  ' शादी से पहले भला शादी के बाद का संकट क्यों नहीं नज़र आता '!  वैसे ये सवाल मैंने ' वर्मा ' जी से भी पूछा था ! उनका जवाब था , 'नज़र भी आ जाए तो लोग उसे नज़र का धोखा मान लेते हैं ! उदाहरण मेरे सामने है ! जब तुझे इश्क का इन्फेक्शन हुआ था तो मैंने कितना समझाया था , कि इस दरिया ए आतिश में मत कूद - पर तू कहां माना था ! और फ़िर,,,,शादी के पांच साल बाद किस तरह के एल सहगल की आवाज़ में मेरे सामने रोना रो रहा था, ' जल गया जल गया - मेरे दिल का जहां !' 
                  इश्क का साइड इफेक्ट देखिए ! लोग कहते हैं इश्क अंधा होता है !  मै नहीं मानता, लैला मजनू, रोमियो - जूलियट,शिरीन-फरहाद और हीर.- रांझा में कोई अंधा नहीं था ! सभी आँख वालों ने जान बूझकर चूल्हे में सर दिया ! हर आदमी इश्क नहीं कर सकता !  कुछ लोग इश्क करते हैं, कुछ लोग इश्क के तंदूर पर बैठ जाते हैं !इश्किया साहित्य में और बुरा हाल है ! जिसे इश्क का सलीका नहीं आता, वही इश्क की परिभाषा तय करता है !  वही तय करता है कि लौकिक और पारलौकिक इश्क में - किसके अंदर फिटकरी कम है ! जो इश्क के मामले में बंजर होता है , वही इश्क में  'अद्वैतवाद ' खोजता है ! ऐसे लोगों ने साहित्य को बंजर बनाने में बड़ी अहम भूमिका निभाई है ! उन्होंने  छायावाद, अद्वैतवाद और अलौकिक दिव्यता के लेप में लपेट कर सीधे सादे इश्क को ममी बनाकर आम आदमी से दूर कर दिया !
             तो,,,,, इश्क क्या है? वो ज़माना गया जब इश्क 
' इबादत '  हुआ करता था , अब  ' इश्क कमीना ' हो चुका है और उससे आजिज आ गए लोगों का आरोप है कि - ' मुश्किल कर दे जीना -'! ( ये उन्ही महापुरुषों का काम है जो इश्क को इबादत से कमीना तक लाए हैं !)इश्क में आदमी निकम्मा हो जाता है, ऐसा मै नहीं चचा गालिब कहते हैं ,- "  इश्क ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया।
                            वरना हम भी आदमी थे काम के"!
  
               बदलता है रंग आसमां कैसे कैसे ! कॉरोना ने इश्क को भी संक्रमित कर दिया ! इस दौर मे आकर  इश्क  ' नमाज़ी ' से इश्क ' जेहादी ' हो गया ! ये अब तक का सबसे बड़ा हृदय परिवर्तन था ! लव सीधे जेहाद हो चुका है ! अब  पुलिस बाकायदा इश्क का धर्म , राशन कार्ड और आधार कार्ड  चेक करेगी !  ऐसे मामले में पुलिस ईश्वर का भी दख़ल बर्दाश्त नहीं करेगी  ! उधर,,,, इश्क गहरे सदमे में है ! वो जेहादी हो गया और खुद उसे भनक तक ना लगी ! ये सब इतनी जल्दी में हुआ कि इश्क को संभलने का भी मौक़ा नहीं मिला ! अब उसके सामने चेतावनी है कि - चलाओ न नज़रों से बान रे - वरना रोज  थाने  का चक्कर काटना पड़ेगा !
          लगता ' मां का लाडला बिगड़ गया '  है ! बाल्कनी से फिर लौंडे के गाने की आवाज़ आ रही है, " दे दे प्यार दे "! इस बार उसकी आवाज में रोब नहीं याचना है ! जैसे वो इश्क नहीं गेहूं मांग रहा हो ! ( वैसे इस हालात ए हाजरा में इश्क के मुक़ाबले गेहूं ज़्यादा महफूज़ है ! इश्क को तो पुलिस और पब्लिक दोनों पीट रही है !) मैं एक वयंग्य लिखने की सोच रहा हूं और देश का भविष्य प्यार का कटोरा उठाए याचना कर रहा है ! हम यूपी वाले ऐसे छिछोरे इश्क का धुआं देख लें तो खांसने लगते हैं ! मैं फ़ौरन उठकर बाल्कनी में आ गया ! छिछोरा आशिक टॉप फ्लोर की ओर देख कर गाने लगा, ' हम तुम्हें चाहते हैं ऐसे ! मरने वाला कोई - जिंदगी चाहता हो जैसे '! उस फ़्लैट की खिड़की अभी भी बंद है , पर लौंडा डटा है !आशिक और भिखारी दोनों के धंधे में धैर्य ज़रूरी है !
       सतयुग को देखते हुए मुझे पूरा यकीन है कि - अभी
इश्क के इम्तेहान और भी हैं - ' ! इश्क का दिल से बडा गहरा रिश्ता होता है ! और,,,,दिल हैं कि मानता नहीं ! तो,,, नतीज़ा ये निकला कि सारा किया धरा दिल का है , इश्क खाम खा बदनाम है ! दिल तेरा दीवाना है सनम ! दिल खुराफाती है और इश्क मासूम ! सदियों से  कौआ  'बेचारा कोयल के बच्चे पालता आया है ,  और दुनियां की नज़र में ' वो ' कोयल आज भी मासूम है जो बडे़ शातिराना तरीके से अपने अंडे कौए के घोसले में रख देती है ! इश्क के इस अवसर वादिता पर एक ताज़ा शेर पेश करता हूं ! -

दिल  ने  बड़ी लगन से दरीचे बिछाए थे !
कमबख्त मौक़ा पाते ही कुत्ते पसर गए !!
                     ( सुलतान ' भारती ')

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