" आवाज़ दो कहां हो !"
. अब आप सोचोगे कि मैं कोरोना काल में किसे ढूंढ रहा हूं ! ज्ञानी पुरुष अपने अपने हिसाब से कयास लगा रहे होंगे , आत्मनिर्भरता - जी डी पी - अच्छे दिन - नौकरी ,,,! गोली मार भेजे में, असंभव के लिए प्रयास क्यों ? चूल्हे की आग में तीन स्वस्थ आलू डाल दिया है, भुन् जाए तो नमक के साथ खाकर विश्व की गिरती हुई अर्थ व्यवस्था पर चिंता व्यक्त करूंगा ! पेट भरा हो तो दुनियां के प्रति मै एक दम से जागरूक हो जाता हूं ! ( खाद्य संकट पर चिंता व्यक्त करने के लिए घर में आटे का कनस्टर ज़रूरी है !)
लेकिन आप ये मत सोच लेना कि आलू नमक का सेवन करने के बाद मै समाजवाद लाने का नुस्खा बताऊंगा ! मै तो कुछ और ढूंढ रहा हूं !दरअसल कल मैंने एक फिल्म देखी, जिसमें गांव में जन्म लेने वाले गरीब हीरो ने पीपल के पेड़ के नीचे वाले सिंगल मास्टर स्कूल में पढ़ाई कर गांव के जमींदार ठाकुर और सूदखोर लाला की लंका फूंक दिया ! साथ ही जमींदार की इकलौती कन्या से शादी कर साम्यवाद की झोपड़ी से पूंजीवाद के स्वीमिंग पूल में छलांग लगा दी! ( रिंद के रिंद रहे - हाथ से जन्नत ना गई !)
बस तभी से गांव के प्रति मेरा नज़रिया ही बदल गया, और मै देश के नक्शे में वो गांव ढूंढ रहा हूं जो हिंदी फिल्मों में जब तब दिखाया जाता है! अहा, क्या लाजवाब गांव है ! गांव का पनघट और पनघट पे गोरी ! ( इसी गोरी के चलते दर्शक जमींदार और लाला को भी ढाई घंटे सहन कर लेते हैं!) गोरी अचानक घाट से पानी में उतर जाती है और अपनी दर्जन भर निठल्ली सहेलियों के साथ पानी में कबड्डी खेलने लगती है ! ( दर्शकों का दिल हलक में अटका हुआ है।)
मैं उसी गांव को ढूंढ रहा हूं, जहां गरीब हीरो को जमींदार के अलावा किसी और की बेटी से इश्क ही नहीं होता ! हालांकि उसकी माता जी को कोविड 19से भी भयानक खांसने की बीमारी है,! हीरो के बचपन में जब उसकी माता जी खांसती थीं तो मुझे भी यकीन था कि हीरो बड़ा होकर खांसी की दवा ज़रूर लाएगा ! मगर विधवा माता जी का दुर्भाग्य देखिए कि हीरो दवा की जगह इश्क पर फोकस किये बैठा है ! अब ऐसे गैर ज़िम्मेदार, नालायक और निकम्मे हीरो को जमीदार कैसे अपनी बेटी दे दे !
विचित्र गांव है! गेहूं की खड़ी फसल में हीरो हिरोइन गाना गाते हुए इश्क कर रहे हैं और कोई किसान ऑब्जेक्शन भी नहीं करता ! पीपल के नीचे स्कूल चलाने वाले गांधी वादी टीचर जाने किस ग्रह से आए हैं , मैंने उन्हें किसी फिल्म में फीस मांगते या खाना खाते नहीं देखा, फिर भी चेहरे पर आत्म निर्भरता वाली लाली है ! किस जिले में है भैया ये गांव जहां इश्क करना इतना आसान है ! हमारे यूपी के गाओं में किसान अपने नवविवाहित बेटे को भी दिन में घर के अंदर "इश्क" नही करने देते !
उस गांव का यारो क्या कहना , जहां सदियों से एक बांध तामीर हो रहा है मगर आजतक बन नहीं पाया ! पता नहीं किसे ठेका दिया है! हर कोई बांध की ओर भागता है, क्योंकि बांध खुड़कशी के लिए बड़ा पोटेंशियल है !
ऐसे बांध शायद भविष्य में बहुत सारे बनवाने पड़ें !
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें