लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में
बशीर बद्र साहब ने यह शेर उस वक्त लिखा था जब मेरठ दंगों में उनका घर दंगाइयों द्वारा जला दिया गया था । घर जलाने, घर तोड़ने, घर को बर्बाद करने के दर्द को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। जिस इंसान का घर टूटता है चोट उसके दिल पर लगती है। दिल्ली के सुंदर नगरी इलाके में ब्लॉक f-2/ F1 में चमन एस्टेट को सरकार द्वारा एक बार फिर तोड़ दिया गया है। इस बारे में क्या कहना है शासन और प्रशासन का। दिल्ली सरकार के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम कहते हैं कि यहां पर सब के सहयोग से एक मॉडल स्कूल बनाया जाएगा। जिन लोगों ने जमीन खरीदकर घर बनाए थे उनके घरों से टूटने से उनके सर से छत चली गई है लोग बेघर हो गए हैं । जमीन का विवाद काफी पुराना है। कोर्ट कचहरी का चक्कर रोजमर्रा के खाने, कमाने वाले क्या जाने । सरकार कहती है कि जमीन उसकी है चौधरी शेर नबी चमन कहते हैं कि जमीन उनकी है। और वह कई दशकों से इस पर काबिज है।
हम ज्यादा पचड़े में न पड़ते हुए एक सवाल करना चाहते हैं कि सरकार की ऐसी स्पष्ट नीति क्यों नहीं है कि उसकी जमीन पर कब्जा ना हो ,या सरकार किसी की जमीन पर कब्जा ना करें । लोग जब आशियाना बनाएं तो उन्हें सरकार स्पष्ट करें कि गलत जमीन पर बैनामा नहीं होगा । सरकार जो सही जमीन है उसी का बैनामा करेगी ।लेकिन सरकार राजस्व प्राप्त करती है बैनामा कर देती है तो फिर वह जमीन किसकी है किसने बेंची है का झंझट क्यों छोड़ देती है ? इतने सारे कानून बनाए गए फिर आज तक एक ऐसा कानून क्यों नहीं बनाया कि कोई किसी की जमीन पर कब्जा ना कर सके। 21 सितंबर 2020 को Chaman estate टूटने के बाद कई घरों में में रात को चूल्हा नहीं जला। जिनकी झुग्गियां तोड़ी गई उनके दिल पर क्या गुजरती है यह तो कोई उन्हीं से जाने
बशीर बद्र साहब ने बिल्कुल सही फरमाया
कि लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
और तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में
प्रस्तुति - एस ए बेताब
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