सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अल्पसंख्यक और उनके अधिकार

कहते हैं कि ताकत इंसान में अहंकार भर देती है ।जो व्यक्ति ताकतवर होते हुए भी कमजोर पर अपनी ताकत का इस्तेमाल ना करें उसे बेहतरीन मानव की श्रेणी में रखा जाता है ।भारत में अल्पसंख्यकों के दर्द को दर्द नहीं समझा गया ।इसके अनेक उदाहरण हैं ।जब वह अल्पसंख्यकों को अधिकार और सम्मान की मांग जोर पकड़ने लगी तो कुछ सत्तासीन लोगों ने यह माना कि उन्हें भी कुछ अधिकार दिए जाएं। 18 दिसंबर को अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है ।बहुसंख्यक समाज के चुनिंदा लोगों ने अल्पसंख्यकों को अधिकार की वकालत की तो 1992 में भारत में अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया गया। विशेष रुप में इसमें दो बातें ऐसी हैं जिनका जिक्र करना मैं बहुत जरूरी समझता हूं ।अधिकार और सम्मान ।

अल्पसंख्यकों के अधिकार क्या सुरक्षित हैं?  क्या अल्पसंख्यकों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है ? मैं ताजा घटनाओं का जिक्र करूं कि मॉब लिंचिंग में मुसलमानों को मारा जाता है और उन्हें न्याय भी नहीं दिया जाता है ।उससे पूर्व एक बात का जिक्र करना चाहता हूं कि आज भी बहुत से इलाकों में अल्पसंख्यकों को हेय दृष्टि से देखा जाता है ।उनके रहन-सहन ,उनके खान-पान, उनके पहनावे पर कुछ लोग तंज कसते हैं ।यह तंज कसने की मानसिकता कहां से आती है और उसे ऊर्जा कहां से मिलती है ? यह बताने की जरूरत नहीं है ।लगातार एक एजेंडा चलाया जाता है अल्पसंख्यकों के खिलाफ ।दुष्प्रचार किया जाता है ।उनके धार्मिक स्थलों और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला किया जाता है ।कुछ क्षेत्रों में जहां अल्पसंख्यक ज्यादा कमजोर हालत में है उन्हें अपनी धार्मिक क्रियाएं करने की स्वतंत्रता नहीं है ।भारत की वास्तविक स्थिति पर रिपोर्टिंग करने वाले बहुत कम रिपोर्टर हैं। अल्पसंख्यकों की वास्तविक स्थिति पर लिखने वाले तो और भी कम तादाद में है ।धार्मिक अल्पसंख्यकों को न्याय दिलाने के लिए कितने विधिक प्राधिकरण है। इस स्थिति पर कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं है ।झूठे और बेबुनियाद मुकदमों में बंद जेलों में अल्पसंख्यकों की तादाद का सही आंकड़ा भी सार्वजनिक नहीं है ।अतीत की सरकारें और वर्तमान सरकारें इसी बहस में उलझ कर क्या इस मुद्दे को बहस से गायब करना उचित है?  बात अल्पसंख्यकों के साथ बीते कल की करें और भविष्य की योजनाओं पर विचार करें ।ऐसा प्रतीत होता है कि अल्पसंख्यकों को वोट बैंक मानकर जो काम किया गया ना वह सही था और जो काम अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर किया जा रहा है न वह सही है। अल्पसंख्यक जब तक व

भय और खौफ के साए में जिएंगे तब तक कैसे उनका उत्थान संभव है। 20 -25 साल जेल में रहने के बाद बेगुनाह छूटे ,सजायाफ्ता के जीवन के मर्म को बेदर्द सरकारें क्या जाने ।बिना सबूत ,बिना गुनाह,बिना जुर्म के गिरफ्तार लोगों के दर्द को कितने लोग समझते हैं । अंतरात्मा की आवाज से मरे हुए समाज के लोग इतने बेदर्द हो जाते हैं कि वह अपने समाज अपने परिवार को भी न्याय नहीं दिला पाते हैं। जिसका ताजा उदाहरण उन्नाव रेप केस की पीड़िता है। जिसने अपने बाप अपनी मौसी और अन्य लोगों को खोया है। इंस्पेक्टर सुबोध सिंह, हेमंत करकरे ,जस्टिस लोया जैसे उदाहरणों का मैं यहां जिक्र करना उचित नहीं समझता हूं ।जो लोग न्याय और अधिकार की लड़ाई लड़ते हैं उन्हें बलिदान के लिए तैयार रहना पड़ता है ।जो लोग किसी दबंग व्यक्ति, दबंग दल,  दबंग भीड़ के अन्याय को देखकर चुप्पी साध लेते हैं और न्याय और अधिकार के लिए लड़ने वाले लोगों का तन मन धन से साथ नहीं देते हैं उनका गुलाम बनना एक दिन निश्चित है। संख्या बल की हर बात को आंख मूंदकर समर्थन करना कभी उचित नहीं रहा है ।गांधीजी ने अहिंसा के बल पर अंग्रेजों की संख्या बल को और उनकी मानसिकता को हराया है ।जिसका जीता जागता उदाहरण है ।अब यह कैसे मान लिया जाए कि अल्पसंख्यकों के दर्द को मिटाने का दम भरने वाले हमदर्द हैं ।या वह किसी साजिश में अल्पसंख्यकों को फसाना चाहते हैं अल्पसंख्यकों के हमदर्द बनने वाले भी अल्पसंख्यकों के हमदर्द नहीं, तो अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाले कैसे हम दर्द हो सकते हैं ।

दर्द को भी दर्द नहीं जो कहते हैं

कैसे मान ले वह करेंगे दर्द का इलाज

संपादक :

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

*EVM नये-छोटे-दलों का तथा BSP का उदय केंद्र मे नहीं होने दे रहा है*

(1)-पंडित पुजारी कि पार्टी काँग्रेस-BJP के नाटकीय नूरा-कुश्ती के खेल से 99% लोग अंजान है एक तरफ राहुल गाँधी भारत-जोड़ो-यात्रा का ढोंग कर रहे है तो दूसरी तरफ खडगे और शशी थरूर मे टक्कर दिखाकर खडगे (दलित) को काँग्रेस का अध्यक्ष बनाकर RSS-BJP कि जननी काँग्रेस BSP/भीमवादी दलित शेरनी बहन मायावती जी को शिकस्त देने के लिए दाँव-पेंच खेली है तथा इन बुद्ध के शूद्रो पर जो आज के MUSLIM SC ST OBC वंचित हजारों कलाकार जाति पेशेवर जाति वाले कामगार-श्रमिक-मजदूर-बहुजन लोग है इन्हे राजनीति के क्षेत्र में नपुंसक व अपाहिज बनाने के लिए जबरजस्त बेहतरीन चाल भी चली है इसलिए अम्बेडकर-वादी छुट भैये अवसर-वादी निकम्मा न बनकर 'भीमवादी-बनो' बहुजन हसरत पार्टी BHP कि बात पर तर्क करो गलत लगे तो देशहित-जनहित मे माफ करो* *(2)-जब-जब BSP को तोड़ा गया तब-तब Muslim Sc St Obc बुद्ध के शूद्र वंचित हजारों कलाकार जाति पेशेवर जाति वाले कामगार-श्रमिक-मजदूर-बहुजन लोगो ने उसके अगले ही चुनाव में BSP को 3-गुना ज्यादा ताकतवर बनाकर खड़ा किया है जैसे-1993/1995/1997 व 2002-03 में BSP को अ-संवैधानिक तरीके से तोड़कर समाजवादी पार्टी व BJP...

चुनाव आयोग जी बैलेट-पेपर को जिन्दा करो या बहुजन हसरत पार्टी कि मान्यता रद्द करो

सेवा मे:---*   *1..आदरणीय महामहिम राष्ट्रपति महोदया साहिबा जी, भारत सरकार, राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली-110004* *2..माननीय केन्द्रीय चुनाव/निर्वाचन आयोग, निर्वाचन सदन, अशोक रोड, नई दिल्ली-110001* *माननीय महोदय/महोदया जी* *विषय:--दिनाँक 25/11/2020 से 28/5/2023 और अब 28/11/2023 तक 1000-1200 के इर्द-गिर्द रजिस्टर्ड-AD भेजकर EVM हटाकर पारदर्शी ''बैलेट-पेपर'' से चुनाव कराया जाय तब फिर ऐसी परिस्थित मे न्याय-प्रिय ''बैलेट-पेपर'' से चुनाव न कराये जाने पर बहुजन हसरत पार्टी BHP कि अपनी खुद कि मान्यता ही रद्द कर दी जाय ऐसी माँग को पिछले करीब 50-महिने के इर्द-गिर्द से बहुजन हसरत पार्टी BHP ने 17/12/2022--22/12/2022--31/12/2022--02/01/2023--03/03/2023--06/03/2023--09/03/2023--25/03/2023--28/03/2023 से कहीं ज्यादा 28/5/19 से लेकर 28/11/23 तक लिखित लिखा-पढ़ी करके निवेदन पे निवेदन करती चली आ रही है परन्तु अभी तक न जाने क्यों बहुजन हसरत पार्टी BHP कि बात स्वीकार नही कि जा रही है परन्तु इस अपील कम सूचना/नोटिस के मिलते ही बहुजन हसरत पार्टी BHP कि अपनी मान्यता अब तो तत्काल रद्द...

जूनियर वकील साहब'' का दर्द बहुजन हसरत पार्टी देशहित-जनहित मे "बेताब समाचार एक्सप्रेस" के माध्यम से उजागर करती है

 * सेवा मे आदरणीय*  *1...माननीय प्रधानमंत्री जी, प्रधानमंत्री कार्यालय भारत सरकार नई दिल्ली 110011*  *2..आदरणीय लोकसभा स्पीकर संसद भवन, भारत सरकार नई दिल्ली 110001* *3..माननीय न्याय-विधि मंत्रालय कैबिनेट सेक्रेटरिएट, रायसिना हिल नई दिल्ली 110001* *4..भारतीय विधिज्ञ परिषद/BAR COUNCIL OF INDIA, 21 राउस एवेन्यू इंस्टिट्यूशनल एरिया नई दिल्ली 110002* *देश के सभी "जूनियर वकील साहब" का दर्द जो बहुजन हसरत पार्टी देशहित-जनहित मे उजागर करती है*  * विषय :--: बहुजन हसरत पार्टी BHP देशहित-जनहित मे देश के समस्त सर्व समाज के सभी "जूनियर वकील साहबों" के लिए 24 बिन्दु आपके समक्ष नत-मस्तक होकर तहेदिल दिल से पेश करती है कि देश के सर्व समाज के सभी "जूनियर वकील साहब" लोगो कि दिली-कहानी समझकर इसका निस्तारण करने कि कृपा करिये तथा बहुजन हसरत पार्टी BHP जो आप सहित सभी आला-मंत्री और आफिसरो को 28/5/2019 से 28/12/20 तक करीब 150 SPEED POST व रजि० आदि भेजकर माँग करी है तथा फिर पुनःह माह जनवरी 2021 मे "'जूनियर वकील साहब"' कि "'असली-आवाज"' व ...