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सरधना का एक मोहल्ला ऐसा भी है जहां कैंसर के कारण अब तक 24 से अधिक लोगों की हो चुकी है मौत

 सरधना (मेरठ) का एक ऐसा मौहल्ला जहां 24 से अधिक लोग अब तक कैंसर से मर चुके हैं, क्या स्वास्थ्य विभाग वजह तलाशने की कोशिश करेगा ?



   एस ए बेताब 

जिंदगी कितनी अनमोल है इसका एहसास तब होता है जब आपका कोई साथी जिंदगी छोड़ कर चला जाता है। जब से कोरोना महामारी आई है तब से मौत की दहशत ने  ऐसी दस्तक दी है कि हर शख्स खौफज़दा है।  एक अदृश्य दुश्मन कब हम पर हमला करता है और कब हम उसकी चपेट में आ जाते हैं पता ही नहीं चलता ।दुनिया में अभी तक बहुत सी बीमारियों का इलाज नहीं है जैसे कुत्ता काटने पर रेबीज़ होने के बाद कोई इलाज नहीं है। एड्स का कोई इलाज नहीं है ।कोरोना का कोई इलाज नहीं है।

वैज्ञानिकों ने इन सब बीमारियों से बचाव के लिए कुछ चीजें बतायी है जिनसे इन बीमारियों से बचा जा सकता है हमें इन सब मामलों में एहतियात बरतना जरूरी है। इंसान के अमूल्य जीवन को बचाने के लिए सावधानी और सुरक्षा की जरूरत है। थोड़ी सी लापरवाही और असुरक्षा हमारे अमूल्य जीवन को छीन लेती है।

कैंसर भी एक ऐसी ही घातक बीमारी है जो आहिस्ता - आहिस्ता जीवन को छीन लेती है । उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के सरधना कस्बे का एक मोहल्ला है बैरून सराय । इस मोहल्ले में और इसके आसपास लगे हुए मोहल्लों में पिछले कुछ वर्षों में 24 लोगों से ज़यादा की मौत कैंसर से हो चुकी है। कैंसर जैसी घातक बीमारी से दो दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत के बावजूद भी अभी तक किसी संस्था या विभाग ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि आखिर क्या कारण है जो यहां पर लोग कैंसर से मर रहे हैं।  इन अकाल मृत्यु प्राप्त करने वालों में 40 से 70 साल तक के लोग शामिल हैं । क्या यहां के पानी में ऐसे गण मौजूद है जिससे कैंसर हो जाता है। अथवा ऐसी कोई और वजह है जिसके कारण से यहां लोगों को कैंसर हो जाता है।  या यहां के लोगों की जीवनशैली, यहां का खानपान यहां की आदते ऐसी है जो उन्हें कैंसर की चपेट में ले रही हैं । और कैंसर की चपेट में आने के कारण लोग मौत के आगोश में जा रहे हैं।

अब तक  जो लोग कैंसर के कारण मर चुके हैं उनमें आबिद के वालिद जिन्हें पित्ते का कैंसर था जिनकी उम्र 45 वर्ष थी । 50 वर्षीय  सद्दीक खाँ की कैंसर से मौत हुई।  65 वर्षीय सलीम अख्तर के पिता की गले के कैंसर से मौत हुई ।सलीम अख्तर की वालिदा की भी कैंसर से मौत हुई । 40 वर्षीय मोबिन अंसारी की  वी कैन सबसे की मृत्यु हुई। 40 वर्षीय तौसीफ  सिद्दीकी की ब्रेन ट्यूमर के कैंसर से मौत हुई। 65 वर्षीय अब्दुल फरीदी की माता की युटेरस के कैंसर से मौत हुई । 60 वर्षीय अमीर साहब फरियाद अली की रीड की हड्डी के कैंसर से मौत हुई । 60 वर्षीय अशफाक अली  की पत्नी की गले के कैंसर से मौत हुई । चांद मियां की दादी की ब्रेस्ट कैंसर से मौत हुई । काजी बत्तों की  गले के कैंसर से मौत हुई । साउथ कुरैशी एडवोकेट के वालिद खलीक  कुरेशी की ब्लड कैंसर से मौत हुई।  लालकुंआ  निवासी शहीद पटवारी की ब्लड कैंसर से मौत हुई। शेख जमील की कैंसर से मौत हुई।मुंशी बदरखा की कैंसर से मौत हुई । पठानो की सराय निवासी अनवार खां की की कैंसर से मौत हुई। वीर जाट गांव निवासी  बशारत अली की कैंसर से मौत हुई । ऊंचा पुर निवासी वाहिद अंसारी की भी कैंसर से ही मृत्यु हुई। इस  इलाके के लोगों में एक अंदरूनी खौफ बसा हुआ है और लोग डर के साए में जी रहे हैं। पता नहीं अगला मरीज कौन हो?  क्या स्वास्थ्य विभाग इस ओर ध्यान देगा ? इतनी सारी मोते,दो दर्जन या उससे अधिक मौतें होने के बावजूद अभी तक स्वास्थ्य विभाग या कैंसर अनुसंधान की टीम ने यहां इस इलाके का कोई मौका मुआयना नहीं किया है । लोगों का कहना है कि  आखिर क्या कारण है  जो इस तरह की मौतें हो रही है । यहां के खानपान, यहां की आबोहवा और यहां का पानी का भी अभी तक कोई सैंपल नहीं लिया गया है । जिससे यह पता लगाया जा सके कि यहां पर लोग कैंसर से क्यों मर रहे हैं । यहां की आबोहवा,  पीने का पानी,  रहन सहन  अथवा  ऐसे क्या कारण है जिसके कारण यहां के लोगों को कैंसर हो जाता है। इस छोटे से इलाके में 2 दर्जन से अधिक लोगों का कैंसर की  बीमारी के कारण मर जाना  अचंभित करता है ।और हम सबकी जिम्मेदारी है कि  आने वाली जिंदगियों को बचाया जाए । हमारी स्वास्थ्य विभाग  और कैंसर अनुसंधान से  यह गुजारिश है  कि वह इस इलाके का  अध्ययन करें और रिसर्च करें कि आखिर वह कौन से कारण हैं जिनके कारण अब तक इन लोगों की कैंसर से मौत हुई है और उन कारणों को तलाश करके आगे से लोगों के जीवन को बचाया जाए। 

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