देख कर उसे लुत्फ आने लगा
मेरा महबूब नजरें चुराने लगा
कशिश बढ़ती ही जाती है
आंखों में नशा सा छाने लगा
शबे स्याह में भी नूर सा चमकता है
चेहरा उसका ख्वाबों में नजर आने लगा
ओह,आह यह कैसी तस्कीन है
होठों से जाम कोई पिलाने लगा
छूने से ही बर्क़ सी गिरती है
मेरा आशिक मुझे ही रुलाने लगा
जागता हूं मैं रात भर इसी सोच में
तसववुर में भी अब दिल घबराने लगा
लेखक- एस ए बेताब
संपादक- बेताब समाचार एक्सप्रेस
हिंदी मासिक पत्रिका एवं यू टयूब चैनल
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