लेखक - एस ए बेताब
सभी के दिल का यही ख्याल है
चढ़ते सूरज का एक दिन जवाल है
जानते हुए भी नहीं आता है बाज
क्या तुझे अपनी कजा़ का नहीं ख्याल है
हसीन ख्वाबों की ताबीर देना छोड़ दे
ये जिंदगी की हकीकत का सवाल है
आंधियों के गुरुर से क्या घबराना
पेट में जिसके रिज़्क ए हलाल है
मुलाकात आज तक ना हो सकी
उसके रूठ जाने का मलाल है
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