आओ मोहब्बत की एक ऐसी फिजा़ बनाई जाए
जिसमें नफरत को बिल्कुल जड़ से मिटाया जाए
फरेब ,धोखा ,मक्कारी छोड़ दो यारो
जाति धर्म के बंधन तोड़ दो यारो
मिलकर बंजर भूमि में सिंचाई लगाई जाए
उबड़ खाबड़ भूमि भी समतल बनाई जाए
खेल रहे हो जिसमें हर तरह के फूल
लहलाता ऐसा एक चमन बनाया जाए
तकरार किसमें नहीं होती है यारों
ये दुश्मनी तो बहुत छोटी है यारों
बुलडोजर मिलकर ऐसा भी चलाया जाए
जिसमें दीवार दुश्मनी की गिराई जाए
लेखक- एस ए बेताब
लेखक की यह कविता 2 नवंबर 2002 को दैनिक इंकलाब भारत में प्रकाशित हो चुकी है
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