देख कर उसे हिम्मत टूट जाती है
सामने वो मेरे जब भी आती है
प्यार कर बैठे ,उसे दिल दे बैठे
रूठ जाने से उसके नींद चली जाती है
सोचता हूं सब कुछ कह दूंगा उससे
मगर बात वो दिल के दिल में रह जाती है
लगता है शायद उसे भी मुझसे प्यार है
तभी तो मेरी बातों पे चुप रह जाती है
लबों पे खामोशी दिलों में है बंदिश
उसकी झुकी नजरें सब कुछ कह जाती है
सावन मे जमकर बरसती है जब घटा
बदन तो क्या रूह भी तस्कीन पा जाती है
लेखक - एस ए बेताब
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