🇮🇳कृषिकानून किसानआंदोलन 🇮🇳
कृषिकानून में सरकार का एक एजेंडा बहुत साफ है कि
● सैकड़ों एकड़ के खेत इकट्ठे कर के उन्हें कॉरपोरेट में बदल कर खेती की जाय।
● खेतो के स्वामित्व अभी जिनके पास हैं, उन्हें कुछ पैसे देकर खेतो को लीज पर ले लिया जाय।
● क्या बोया जाय, और क्या न बोया जाय, यह कॉरपोरेट का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर तय करेगा।
● फसल वही बोई जाएगी जो कॉर्पोरेट को मुनाफा देगी।
● सरकार से कॉरपोरेट को राहत के नाम पर इसमे नुकसान दिखा कर सब्सिडी और अन्य राहत प्राप्त किया जाय।
● औद्योगिक लॉबी की तरह एक एग्रो इंड्रस्ट्री लॉबी बना कर एक मजबूत दबाव ग्रुप तैयार किया जाय।
● राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बांड के जरिए चंदा देकर उपकृत किया जाय ताकि वे अपने ख्वाबगाह में से बस पांच साल बाद ही निकले।
● शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, रेल, सड़क, हवाई यातायात, सब के सब, जितना हो सके निजी क्षेत्रों को बेच दिया जाय। इससे सरकार की जिम्मेदारी ही कम हो जाएगी।
● शिक्षा और स्वास्थ्य के लिये बीमा और लोन की प्रथा नशे की तरह फैला दी जाय। ताकि इस पर जब कोई महंगी शिक्षा और स्वास्थ्य पर सवाल उठाये तो सरकार हांथ झाड़ कर अलग हो जाय।
● जब कोई इन जनहित के मुद्दों पर आंदोलन खड़ा हो तो, उन्हें देशद्रोही अलगाववादी गुंडे मवाली पाकिस्तानी बता कर हतोत्साहित किया जाय।
● जब सीमा में घुसपैठ हो जाय और हमारे सैनिक शहीद हो जांय तो यह कह कर पल्ला झाड़ लिया जाय कि, न तो कोई घुसा था और न कोई घुसा है।
● जमाखोरी को कानूनन मान्यता दे दी जाय।
● किसान उसी कॉरपोरेट खेतो में खेत मज़दूर बन जांय।
● जो बचें वे उद्योगों में मजदूरी करे। 8 घन्टे के बजाय 12 घँटे काम करें।
● न्यूनतम वेतन भी इतना न हो कि बेहतरी के लिये सोच सके और इतना कम भी न हो कि वे मजदूरी लायक भी न बचे। यह शोषण का सामंती तरीका है।
इन शब्दों का आधार है कि, देश को जाति धर्म में बांटकर देश जनता के असल मुद्दों को गायब कर दिया
● 2016 में देश के कुछ पूंजीपतियों और राजनीतिक एकाधिकार स्थापित करने के लिये, कालाधन, आतंकवाद नियंत्रण और नकली मुद्रा को खत्म करने के लिये नोटबन्दी की गयी। पर न तो कालाधन मिला, न आतंकवाद पर नियंत्रण हुआ और न नक़ली मुद्रा का जखीरा पकड़ा गया।
● इसके विपरीत, अनौपचारिक क्षेत्र और उद्योग तबाह हो गए। 2016 - 17 से लेकर 2020 तक जीडीपी गिरती रही। अब तो कोरोना ही आ गया है।
● नोटबंदी करके सब कुछ तहस-नहस कर दिया सारा आरोप कोराना पर लगा कर अपनी तिजोरी भरली आरक्षण लगभग समाप्ति की तरफ है रिटायर फौजियों की पेंशन आधी कर दी किसानों को खूब लॉलीपॉप बांटे गए मजदूर से बदतर हालत कर भिकारी बनाने की कगार पर पहुंचा दिया सेना के जवानों की शहादत किसानों की आत्महत्या लगातार बढ़ रही है
● जीएसटी की जटिल प्रक्रिया से व्यापार तबाह हो गया। पर उसकी प्रक्रियागत जटिलता को दूर करने का कोई प्रयास नही किया गया।
● एक भी बड़ा शिक्षा संस्थान जिंसमे प्रतिभावान पर विपन्न तबके के बच्चे पढ़ सकें नहीं बना।
● निजी अस्पताल, कोरोना में अनाप शनाप फीस वसूलते रहे। सरकार ने उन पर केवल कोरोना से पीड़ित लोगों के लिये फीस की दरें क्यों नही कम करने के लिये महामारी एक्ट में कोई प्राविधान बनाया ? लोगो ने लाखों रुपए फीस के देकर या तो इलाज कराये हैं या उनके परिजन अस्पताल में ही मर गए हैं।
🌑यह कानून देश की खेती को ही नही दुनिया की सबसे बेमिसाल, कृषि और ग्रामीण संस्कृति के लिये एक बहुत बड़ा आघात होगा। यह गहराई से समझने वाले बुद्धिजीवियों की राय है लेकिन चापलूस बुद्धिजीवी चापलूस मीडिया केंद्र सरकार के हर काम को ऐतिहासिक बताती है सभी देशवासियों को सरकार की इन हवाई जनकल्याणकारी योजनाओं पर या यू कहे हैं अपनी मनमाफिक जनता के विश्वास में ठोकर मार कर लागू कर देना संविधान का अपमान देश की आर्थिक स्थिति को कमजोर करना झूठ गुमराह नफरत को मजबूती के साथ उठाकर सच्चाई को दबा देना खुद को बुद्धिमान बता कर बुद्धिजीवियों को बेवकूफ समझना जागरूकता को सूखे पेड़ से बांध देना हमारे पूर्वजों का जिन्होंने देश आजादी के लिए अपनी कुर्बानी देकर दुनिया से चले गए हमें सभी का अधिकार सम्मान संविधान देकर देश की बागडोर देशवासियों को सौंप दी और हमेशा के लिए अमर हो गए लेकिन निजी स्वार्थ अंग्रेजी शासन की कहानियों को ताजा कर रही है
🌑 सभी देशवासी करें विचार
किसान व मजदूर विचारा बीजेपी सरकार में फिरता मारा मारा ढूंढे किनारा मिले ना सहारा सबका साथ सबका विकास भूल भुलैया की वादियों में गुम हो गए अच्छे दिन बुरे दिनों में बदल गए भाई भाई एक दूसरे के दुश्मन बन गए कृषि बिल विरोध किसान आंदोलन क्या रंग लाएगा अंदाजा लगाना मुश्किल
🌑 जय जवान जय किसान हम सबका भारत देश महान एकता जिंदाबाद सबका सम्मान जिंदाबाद
तानाशाही मुर्दाबाद हम भारतवासियों को जाति धर्म में बांटने वाली नीति मुर्दाबाद
भाकियू (बलराज) प्रदेश अध्यक्ष (चौधरी शौकत अली चेची)
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