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ए आई एम आई एम के राष्ट्रीय पार्टी की ओर बढ़ते कदम








 









बिहार विधानसभा चुनाव में  ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने  5 विधानसभा सीटें  जीतकर  यह दर्शा दिया है  कि अब वह हैदराबाद  के मुस्लिम  ही नहीं  बल्कि पूरे भारत के मुसलमानों के राजनीतिक दल के रूप में उभर कर सामने आ रही है।

बिहार के विधानसभा चुनाव में  जो शानदार प्रदर्शन मजलिस का रहा है  उसे देख कर  कई राजनीतिक दलों की नींद हराम हो गई है।  बिहार की 16 फीसद मुस्लिम आबादी में 243 विधानसभा सीटों में से  20 सीटों पर चुनाव लड़ कर 5 विधानसभा सीटें जीतना  एक बहुत बड़ी सफलता दर्शाता है। बिहार विधानसभा में  47 ऐसी सीटें हैं  जहां मुसलमानों की अहम भूमिका है।  11 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुसलमान 40% से ज्यादा है।  7 सीटों पर  30 परसेंट से ज्यादा है । और 29 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां पर मुसलमान 20 से 30 परसेंट है ।विधानसभा  अमौर,  कोचाधामन,  जोकीहाट,  बायसी बहादुरगंज से एम आई एम के प्रत्याशी जीत कर आए हैं  । जिसमें अमौर विधानसभा क्षेत्र से अख्तरुल इमान ने  94459 वोट प्राप्त किए जो 51.17 परसेंट है। दूसरे नंबर पर आने वाले प्रत्याशी  जनता दल यूनाइटेड के सबा जफर 41244 वोट ही प्राप्त कर सकें। कोचाधामन से  मोहम्मद जफर असफी   79893  वोट लाकर  49.45 परसेंट वोट प्राप्त किएऔर विजयी हुए।  दूसरे नंबर पर जनता दल यूनाइटेड के मुजाहिद आलम ने 43750 वोट  प्राप्त किए। जोकीहाट  विधानसभा से  शाहनवाज  ने  59596 वोट प्राप्त किए जबकि राष्ट्रीय जनता दल से सरफराज आलम को 52213 वोट प्राप्त हुए। बायसी विधानसभा क्षेत्र से सैयद रुकनुद्दीन  68416 वोट लाकर विजय घोषित हुए हैं। यहां पर भारतीय जनता पार्टी के  विनोद कुमार को 52043 वोट प्राप्त हुए। बहादुरगंज विधानसभा सीट से  मोहम्मद अंजार नईमी 85855 वोट लाए  और विजय घोषित हुए। यहां पर विकासशील इंसान पार्टी के लखन लाल पंडित 40640 वोट  प्राप्त कर पाए। 

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन या एआईएमआईएम  भारत के तेलंगाना राज्य में स्थित एक मान्यताप्राप्त राजनीतिक दल है जिसका  हैदराबाद के पुराने शहर में प्रधान कार्यालय है, जिसकी जड़ें मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन से हैं जो 1927 में  ब्रिटिश भारत के हैदराबाद स्टेट में स्थापित हुई । एआईएमआईएम ने 1984 से हैदराबाद निर्वाचन क्षेत्र लोकसभा सीट जीती है। 2014 के तेलंगाना विधानसभा चुनावों में, एआईएमआईएम ने सात सीटों पर जीत हासिल की और  भारत के चुनाव आयोग में एक राज्य पार्टी के रूप में दर्ज है जिस के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी है  इस परिवार और मजलिस के नेताओं पर यह आरोप लगते रहे हैं की वो अपने भड़काओ भाषणों से हैदराबाद में साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ावा देते रहे हैं। लेकिन दूसरी और मजलिस के समर्थक उसे भारतीय जनता पार्टी और दूसरे हिन्दू संगठनों का जवाब देने वाली शक्ति के रूप में देखते हैं।

राजनैतिक शक्ति के साथ साथ ओवैसी परिवार का एक मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज, कई दूसरे कालेज और दो अस्पताल भी शामिल हैं।

एइएमइएम ने अपनी पहली चुनावी जीत 1960 में दर्ज की जब की सलाहुद्दीन ओवैसी हैदराबाद नगर पालिका के लिए चुने गए और फिर दो वर्ष बाद वो विधान सभा के सदस्य बने तब से मजलिस की शक्ति लगातार सन 2018 में, एआईएमआईएम ने महाराष्ट्र में प्रकाश आंबेडकर की नयी पार्टी  वंचित बहुजन आघाडी के साथ गठबंधन किया हैं। यह राजनीतिक दल महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव 2019 में राज्य के कुल 48 सीटों में से 47 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है, और औरंगाबाद की 1 सिट पर एआईएमआईएम जीत दर्ज़ की है।

बढ़ती हुई लोकप्रियता के साथ साथ सलाहुद्दीन ओवैसी "सलार-ए-मिल्लत" (मुसलमानों के नेता) के नाम से मशहूर हुए. वर्ष 1984 में वो पहली बार हैदराबाद से लोक सभा के लिए चुने गए साथ ही विधान सभा में भी उस के सदस्यों की संख्या बढती गई हालाँकि कई बार इस पार्टी पर एक सांप्रदायिक दल होने के आरोप लगे लेकिन आंध्र प्रदेश की बड़ी राजनैतिक पार्टिया कांग्रेस और तेलुगुदेसम दोनों ने अलग अलग समय पर उससे गठबंधन बनाए रखा।दिलचस्प बात यह है की हैदराबाद नगरपालिका में यह गठबंधन अभी भी जारी है और कांग्रेस के समर्थन से ही मजलिस को मेयर का पद मिला है।2009 के चुनाव में एइएमइएम ने विधान सभा की सात सीटें जीतीं जो की उसे अपने इतिहास में मिलने वाली सब से ज्यादा सीटें थीं. कांग्रेस के साथ उस की लगभग 12 वर्ष से चली आ रही दोस्ती में दो महीने पहले उस समय अचानक दरार पड़ गई जब चारमीनार के निकट एक मंदिर के निर्माण के विषय ने एक विस्फोटक मोड़ ले लिया।मजलिस ने कांग्रेस सरकार पर मुस्लिम-विरोधी नीतियां अपनाने का आरोप लगाया और उस से अपना समर्थन वापस ले लिया. अकबरुद्दीन ओवैसी के तथाकथित भाषण को लेकर जो हंगामा खड़ा हुआ है और जिस तरह उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज गया है उसे कांग्रेस और मजलिस के टकराव के परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है।अधिकतर हैदराबाद तक सीमित मजलिस अब अपना प्रभाव आंध्र प्रदेश के दूसरे जिलों और पडोसी राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक तक फैलाने की कोशिश कर रही है।

हाल ही में उस ने महाराष्ट्र के नांदेड़ नगर पालिका में 11 सीटें जीत कर हलचल मचा दी है। आंध्र प्रदेश में कांग्रेस इस संभावना से परेशान है कि 2014 के चुनाव में एइएमइएम जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस के साथ हाथ मिला सकती है। अकबरुद्दीन ओवैसी की गिरफ्तारी के बाद तो मजलिस और कांग्रेस के बीच किसी समझौते की सम्भावना नहीं रह गई.

 






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