सभी देशवासियों को समझने के लिए चंद बिंदुओं पर अति आवश्यक ध्यान देना चाहिए सरकारों की किसान विरोधी नीतियों का क्यों नहीं होना चाहिए विरोध किसानों की आय दोगुनी हुई नहीं 2014 से पहले जमीन का अधिग्रहण 80% किसानों की सहमति से किया जाता था भूमि बेचना या खरीदना स्टांप ड्यूटी लगभग 40% बढ़ोतरी कर दी जमीन का मुआवजा सरकार की तरफ से हर साल लगभग 11% की वृद्धि का प्रावधान था देश आजाद होने के बाद अब तक किसान के माल में लगभग 25% की वृद्धि हुई लेकिन सरकारी मुलाजिम जनता के चुने हुए प्रतिनिधि सैकड़ों वस्तुओं के दामों में लगभग 500% तक की वृद्धि हुई है किसानों की कर्ज माफी लगभग 9% तक की गई है लेकिन बड़ी संस्थाएं उद्योगपति आदि की कर्ज माफी लगभग 45% तक की गई हैं देश में सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या कर रहा है जबकि किसान से बड़ा देश में परोपकारी मेहनती ईमानदार आशावादी दूसरा कोई नहीं भारत की लगभग 70% अर्थव्यवस्था को किसान अपने कंधों पर संभाले हुए हैं विदेशों में भारत का नाम रोशन किसान कर रहा है आयात और निर्यात का श्रेय सबसे ज्यादा किसानों को जाता है भारतीय संस्कृति संविधान सबका सम्मान किसान से ज्यादा कोई नहीं कर रहा महंगाई बेरोजगारी मौसम की मार पशु पक्षी आदि के नुकसान से सबसे ज्यादा किसान दुखी है हमारे देश का दुर्भाग्य है किसान अपने माल की कीमत नहीं तय कर सकता जब से केंद्र में बीजेपी सरकार आई है किसानों पर लगभग 40% का भार बढा है लाभ लगभग 11% मिला है लगभग 80% देश की जनता बीजेपी शासन से दुखी है झूठे खोखले नफरत गुमराह वादी भाषण और वादों ने किसानों के अच्छे दिन महा बुरे दिनों में बदल दिए किसान का माल अगर ₹10 में खरीदा जाता है तो उसी माल को किसान या आम इंसान लगभग ₹25 में खरीद रहा है ज्यादातर देश के चालाक भेड़िया किसानों के माल को खरीद कर फिर उसको बेचकर मालामाल हो रहे हैं अन्नदाता का ढोल पीटने वाले नेता मिलकर अपनी जेब गर्म कर रहे हैं सब्जी दाल आदि की कीमत में लगभग 45% की वृद्धि हो गई है जबकि लॉकडाउन के समय किसानों ने अपने माल को सड़कों पर फेंका खेतों में पैदावारी नष्ट हो गई पशुओं को खिलाया आज के समय किसानों की वही फल सब्जी दाल महंगी होकर आसमान छू रही है मक्का बाजरा धान आदि किसानों की पैदावारी व्यापारी आधे रेट में खरीद रहे हैं सरकार कोरे कागजों में वाहवाही लूट रही है दलाल मीडिया अंधभक्त झूठ की पोटली लेकर सत्ता पर काबिज नेता किसानों को मूर्ख बना रहे हैं चारों तरफ गहराई से देखा जाए तो भारत का किसान खून के आंसू रो रहा है संसद में अभी किसानों की बर्बादी के तीन काले कानून किसानों को भिकारी बनाने के लिए लागू कर दिए बीजेपी ऐतिहासिक बता रही है विपक्षियों तथा किसानों को मूर्ख बता रही है बिजली बिल मैं लगभग 15% का इजाफा कर कभी भी केंद्र सरकार लागू कर सकती है जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा किसान को ही भुगतना पड़ेगा गोदामों पर डाई यूरिया बीज लेने के लिए आधार कार्ड जोत बही आदि शर्तें लागू कर दी जबकि लगभग 40% किसान लगान पर खेती करता है और सरकारी तोल के लिए बीजेपी सरकार ने जोत बही इंतखाप आधार कार्ड आदि पहले ही लागू कर रखी हैं बीजेपी सरकार हर हफ्ते एक प्रोपेगेंडा एक कानून बनाकर तैयार कर देती है सरकारी मुलाजिम न्यायपालिका एडवोकेट समझ ही नहीं पाते निर्दोष को न्याय दोषी को सजा किस प्रकार दी जाए आढ़ती और किसानों का गहरा नाता है एक दूसरे के दोनों सहयोगी हैं तीन कृषि काले कानूनों को लागू कर केंद्र ने इन दोनों को दूर कर दिया किसान व आढ़तियों के साथ मिलकर मजदूरी करने वालों को बर्बाद कर भिखारी बना कर छोड़ दिया किसानों के लिए कहावत बन कर रह गई( दिल के अरमां आंसुओं में बह गए हम वफा करके भी तंहा रह गए= अच्छे दिन बुरे दिनों में बदल गए लालच की चासनी के चक्कर में गहरी खाई और दलदल में फंस गए) हमारे पूर्वजों ने नारा दिया था जय जवान जय किसान हम सबका भारत देश महान =कुछ प्रतीत हो रहा है देश जागरूकता की तरफ बढ़ रहा है सभी देश के किसान संगठनों ने ऐलान किया है 5/11 /2020 समय 12:00 बजे से 4:00 बजे तक भारत बंद जब तक हम भारतवासी गलत नीति का विरोध नहीं करेंगे हक की आवाज नहीं उठाएंगे इंसाफ मिलना संभव नहीं क्योंकि जनता सरकार चुनती है जनता के दिए टैक्स जीएसटी के पैसों से सरकार चलती है मौज मनाएं नेता कानून का पालन सजा भुगते जनता संविधान का पालन सबको ही करना चाहिए गलत बात गलत नीतियों का विरोध होना चाहिए= अच्छे दिन सबका साथ सबका विकास नारी का सम्मान गरीब बेसहारा कमजोर का अधिकार रोजगार संविधान का सम्मान भारतीय संस्कृति सहनशीलता इंसानियत मान मर्यादा एक दूसरे का सहयोग सब खत्म समझ में नहीं आता अभी तक यह कोरोना क्यों नहीं हुआ खत्म=( एकता सच्चाई जिंदाबाद सबका सम्मान भारत देश जिंदाबाद) भाकियू( बलराज) प्रदेश अध्यक्ष( चौधरी शौकत अली चेची)
सभी देशवासियों को समझने के लिए चंद बिंदुओं पर अति आवश्यक ध्यान देना चाहिए सरकारों की किसान विरोधी नीतियों का क्यों नहीं होना चाहिए विरोध किसानों की आय दोगुनी हुई नहीं 2014 से पहले जमीन का अधिग्रहण 80% किसानों की सहमति से किया जाता था भूमि बेचना या खरीदना स्टांप ड्यूटी लगभग 40% बढ़ोतरी कर दी जमीन का मुआवजा सरकार की तरफ से हर साल लगभग 11% की वृद्धि का प्रावधान था देश आजाद होने के बाद अब तक किसान के माल में लगभग 25% की वृद्धि हुई लेकिन सरकारी मुलाजिम जनता के चुने हुए प्रतिनिधि सैकड़ों वस्तुओं के दामों में लगभग 500% तक की वृद्धि हुई है किसानों की कर्ज माफी लगभग 9% तक की गई है लेकिन बड़ी संस्थाएं उद्योगपति आदि की कर्ज माफी लगभग 45% तक की गई हैं देश में सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या कर रहा है जबकि किसान से बड़ा देश में परोपकारी मेहनती ईमानदार आशावादी दूसरा कोई नहीं भारत की लगभग 70% अर्थव्यवस्था को किसान अपने कंधों पर संभाले हुए हैं विदेशों में भारत का नाम रोशन किसान कर रहा है आयात और निर्यात का श्रेय सबसे ज्यादा किसानों को जाता है भारतीय संस्कृति संविधान सबका सम्मान किसान से ज्यादा कोई नहीं कर रहा महंगाई बेरोजगारी मौसम की मार पशु पक्षी आदि के नुकसान से सबसे ज्यादा किसान दुखी है हमारे देश का दुर्भाग्य है किसान अपने माल की कीमत नहीं तय कर सकता जब से केंद्र में बीजेपी सरकार आई है किसानों पर लगभग 40% का भार बढा है लाभ लगभग 11% मिला है लगभग 80% देश की जनता बीजेपी शासन से दुखी है झूठे खोखले नफरत गुमराह वादी भाषण और वादों ने किसानों के अच्छे दिन महा बुरे दिनों में बदल दिए किसान का माल अगर ₹10 में खरीदा जाता है तो उसी माल को किसान या आम इंसान लगभग ₹25 में खरीद रहा है ज्यादातर देश के चालाक भेड़िया किसानों के माल को खरीद कर फिर उसको बेचकर मालामाल हो रहे हैं अन्नदाता का ढोल पीटने वाले नेता मिलकर अपनी जेब गर्म कर रहे हैं सब्जी दाल आदि की कीमत में लगभग 45% की वृद्धि हो गई है जबकि लॉकडाउन के समय किसानों ने अपने माल को सड़कों पर फेंका खेतों में पैदावारी नष्ट हो गई पशुओं को खिलाया आज के समय किसानों की वही फल सब्जी दाल महंगी होकर आसमान छू रही है मक्का बाजरा धान आदि किसानों की पैदावारी व्यापारी आधे रेट में खरीद रहे हैं सरकार कोरे कागजों में वाहवाही लूट रही है दलाल मीडिया अंधभक्त झूठ की पोटली लेकर सत्ता पर काबिज नेता किसानों को मूर्ख बना रहे हैं चारों तरफ गहराई से देखा जाए तो भारत का किसान खून के आंसू रो रहा है संसद में अभी किसानों की बर्बादी के तीन काले कानून किसानों को भिकारी बनाने के लिए लागू कर दिए बीजेपी ऐतिहासिक बता रही है विपक्षियों तथा किसानों को मूर्ख बता रही है बिजली बिल मैं लगभग 15% का इजाफा कर कभी भी केंद्र सरकार लागू कर सकती है जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा किसान को ही भुगतना पड़ेगा गोदामों पर डाई यूरिया बीज लेने के लिए आधार कार्ड जोत बही आदि शर्तें लागू कर दी जबकि लगभग 40% किसान लगान पर खेती करता है और सरकारी तोल के लिए बीजेपी सरकार ने जोत बही इंतखाप आधार कार्ड आदि पहले ही लागू कर रखी हैं बीजेपी सरकार हर हफ्ते एक प्रोपेगेंडा एक कानून बनाकर तैयार कर देती है सरकारी मुलाजिम न्यायपालिका एडवोकेट समझ ही नहीं पाते निर्दोष को न्याय दोषी को सजा किस प्रकार दी जाए आढ़ती और किसानों का गहरा नाता है एक दूसरे के दोनों सहयोगी हैं तीन कृषि काले कानूनों को लागू कर केंद्र ने इन दोनों को दूर कर दिया किसान व आढ़तियों के साथ मिलकर मजदूरी करने वालों को बर्बाद कर भिखारी बना कर छोड़ दिया किसानों के लिए कहावत बन कर रह गई( दिल के अरमां आंसुओं में बह गए हम वफा करके भी तंहा रह गए= अच्छे दिन बुरे दिनों में बदल गए लालच की चासनी के चक्कर में गहरी खाई और दलदल में फंस गए) हमारे पूर्वजों ने नारा दिया था जय जवान जय किसान हम सबका भारत देश महान =कुछ प्रतीत हो रहा है देश जागरूकता की तरफ बढ़ रहा है सभी देश के किसान संगठनों ने ऐलान किया है 5/11 /2020 समय 12:00 बजे से 4:00 बजे तक भारत बंद जब तक हम भारतवासी गलत नीति का विरोध नहीं करेंगे हक की आवाज नहीं उठाएंगे इंसाफ मिलना संभव नहीं क्योंकि जनता सरकार चुनती है जनता के दिए टैक्स जीएसटी के पैसों से सरकार चलती है मौज मनाएं नेता कानून का पालन सजा भुगते जनता संविधान का पालन सबको ही करना चाहिए गलत बात गलत नीतियों का विरोध होना चाहिए= अच्छे दिन सबका साथ सबका विकास नारी का सम्मान गरीब बेसहारा कमजोर का अधिकार रोजगार संविधान का सम्मान भारतीय संस्कृति सहनशीलता इंसानियत मान मर्यादा एक दूसरे का सहयोग सब खत्म समझ में नहीं आता अभी तक यह कोरोना क्यों नहीं हुआ खत्म=( एकता सच्चाई जिंदाबाद सबका सम्मान भारत देश जिंदाबाद) भाकियू( बलराज) प्रदेश अध्यक्ष( चौधरी शौकत अली चेची)
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